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स्त्रियों का दर्जा सुधारने का विरोध क्यों…? : Dr. Ambedkar's thoughts


हिंदू कोड बिल(Hindu Code Bill) पर आपत्ति जताने वाले एवं विरोध करने वाले आलोचकों को जवाब देते हुए Dr. Babasaheb Ambedkar की ओर से दिया गया बयान/इंटरव्यू.

 

लोचक कहते है कि यह बिल हिंदूओं के धार्मिक पवित्रता की अवमानना कर रहा है और हिंदू संयुक्त परिवार प्रणाली में गड़बड़ी निर्माण कर रहा है। परंतु यह आरोप भ्रामक है। संयुक्त परिवार प्रणाली को विघटन की दृष्टि से देखा जाए तो आज के प्रचलित कानून में भी संयुक्त परिवारों के घटकों पर ऐतराज करने की मांग की जा सकती है। हिंदू कोड बिल इस संदर्भ में कोई नया उपक्रम नहीं कर रहा है।

 

तलाक एवं स्त्रियों के विरासत का अधिकार

कुछ परिस्थितियों में हिंदू स्त्रियों को तलाक का हक स्मृतियों ने दिया है। नये हिंदू कोड बिल(Hindu Code Bill) में तो यही हक स्त्रियों को वापिस दिलाने का ही प्रावधान किया गया है। अपरिहार्य विशेष हालातों में ही तलाक दिया जाएगा।

स्त्रियों को विरासत का हक देने संबंधित इस नये बिल में कोई नया काम नहीं किया है। पुराने हिंदू कानून में ही कन्या के अलावा मृतक से संबंधित स्त्रियों को विरासत हक दिया गया है। परंतु स्त्रियों का विरासत हक एकदम अंतिम रूप में अमल में लाया जाता है। याज्ञवल्क्य स्मृति(Yagyavalkya Smriti) में कन्याओं को अपने माता-पिता की संपत्ति में 25 प्रतिशत विरासत का हक दिया गया है। स्मृति के विशेष रुढ़ियों के अनुसार प्रिव्ही कौन्सिल ने कन्याओं के विरासत हक को उनसे छिना था। उसे याज्ञवल्क्य स्मृति(Yagyavalkya Smriti) के अनुसार दोबारा कन्याओं को दिलाने की व्यवस्था हिंदू कोड बिल(Hindu Code Bill) में की गई है।

 

एक पत्नित्व

हिंदू कोड बिल(Hindu Code Bill) में हिंदू पुरुषों पर एक पत्नित्व को तय किया गया है। और यह भी प्राचीन हिंदू रुढ़ियों के अनुसार ही तय किया गया है। फिलहाल सपिंड- एक रक्त नाते का विवाह कानूनन नहीं है। यह बंधन थोड़ा शिथिल किया गया है। परंतु अत्यंत करीबी रक्त संबंध विवाह जैसे कि ममेरे भाई-बहन के विवाह को इसमें शिथिलता है। यह दावा जो आलोचक करते हैं वह गलत है। ऐसी छूट इस बिल में नहीं दी गई है।

 

विरोध केवल सनातनियों का

यह हिंदू कोड बिल(Hindu Code Bill) मुख्य रूप से हिंदू स्त्रियों की परिस्थितियों को प्रगति पथ पर लाने, बदलाव करने के दृष्टि से तैयार किया गया है। स्त्रियों के दर्जे में सुधार करने का यह प्रयास है। इसे जिनका विरोध है, वे केवल कट्‌टर सनातनियों का है। बहुसंख्य हिंदू अपनी वृत्ति से सनातनी है। और वे ही विरोध कर रहे हैं। लेकिन उनकी मर्जी के अनुसार चलने की बात की जाए तो इस देश में प्रगति बिल्कुल नहीं होगी। मुझे ऐसा लगता है कि सनातनियों को अपने प्रगति में दिक्कतें पैदा करने न दें। बिल का विरोध करने वालों ने मेरे पास आकर इस पर उपयुक्त चर्चा करना चाहिये। परसों ही मैंने 2 सनातन मतवादी स्त्रियों को इसका महत्व समझाया है। अन्य लोगों को भी समझाया जा सकता है। आगामी चुनावों में कांग्रेस इस मुद्दे से अलिप्त नहीं हो सकती। हम बिल का विचार शुरू करेंगे। अधिकांश सदस्य इसके अनुकुल हैं।

 

संदर्भ किताब :-

डॉ. बाबासाहेब आंबेडकरांची भाषणे, खंड- 5, पेज नंबर – 170 (गांजरे)
@ जनता पत्रिका में 26 फरवरी 1949 को बाबासाहब का इंटरव्यू

 

संपादन-संकलन-अध्ययन

लिमेशकुमार जंगम