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22,066 irrigation wells decreased in 10 years : 10 वर्ष में घट गए 22,066 सिंचन कुएं


विकास नहीं अधोगति – बल्लारपुर व पोंभूर्णा में भी कुएं घटे

सिंचन कुओं के निर्माण के मामले में प्रशासनीक रिपोर्ट से खुलासा होता है कि चंद्रपुर जिले में बीते 10 वर्षों में 22 हजार 66 कुएं घट गए हैं। 10 वर्ष पूर्व अर्थात 2013 के दौरान जिले में 44 हजार 838 हुआ करते थे। लेकिन वर्ष 2023 के मार्च अंत आते-आते यह कुएं घटकर 22 हजार 772 ही रह गए। इसका संबंधित किसानों के खेतों, उत्पादन व सिंचाई पर विपरीत असर पड़ा ही होगा। हालांकि अन्य माध्यमों से जिले में सिंचाई का क्षेत्र बढ़ा है। लेकिन सिंचन कुओं की दिशा में यहां सरकार व जनप्रतिनिधि फेल दिखाई पड़ रहे हैं। यह विकास नहीं बल्कि एक प्रकार से अधोगति है। बरसों से जिले की कमान संभालने वाले भाजपा के वरिष्ठ नेता व जिले के पालकमंत्री सुधीर मुनगंटीवार की कर्मभूमि बल्लारपुर व पोंभूर्णा में भी सिंचन कुओं के आंकड़ों में कमी आयी है। वहीं दूसरी ओर हाल ही में उन्होंने अपने 30 वर्षों की उपलब्धि गिनाने वाले चित्र को सोशल मीडिया पर वायरल करते हुए सिंचन कुओं की कामयाबी का बखान किया है। लेकिन जमीनी हकीकत को प्रशासनीक रिपोर्ट बेनकाब कर रही है।

इन सरकारी विभागों के आधार पर बनी रिपोर्ट

प्रशासनीक आंकड़ें सभी तहसीलों से इकठ्‌ठा किये जाते हैं। यह आंकड़ें आमतौर पर जमीन हकीकत बयां कर जाते हैं। राजनेताओं द्वारा चाहे जितने आकर्षक दावे किए जाएं परंतु प्रगति की रिपोर्ट तमाम दावों पर पानी फेर देती है। हम जिस सरकारी रिपोर्ट के आधार पर तथ्यों को पेश करने की कोशिश कर रहे हैं, वह रिपोर्ट चंद्रपुर जिले के पंचायत समितियों के गुट विकास अधिकारी, राज्य स्तर व स्थानीय स्तर के लघु सिंचाई विभाग के कार्यकारी अभियंता, जिला परिष के सिंचाई विभाग के तहत कार्यरत लघु सिंचाई विभाग के कार्यकारी अभियंता तथा महाराष्ट्र राज्य विद्युत मंडल चंद्रपुर के कार्यकारी अभियंता की रिपोर्टस् के संयुक्त मूल्यांकन के बाद तैयार की गई है। यह रिपोर्ट जिले के सिंचाई कुओं के विकास के बजाय अधोगति को पेश कर रही है। इसके चलते राजनेताओं के दावे खोखले दिखाई पड़ रहे हैं।

प्रशासनीक आंकड़ें बयां करते हैं सच्चाई  

प्रशासनीक रिपोर्ट में दर्ज आंकड़ों से समूची सच्चाई का खुलासा हो जाता है। हमने वर्ष 2013 से वर्ष 2023 के दौरान के सरकारी आंकड़ों की तुलना की। इन 10 वर्षों के आंकड़ों में जो फर्क महसूस किया गया, वह अधोगति को साफ-साफ दर्शा रहा है।

तहसील - कुओं की संख्या – वर्ष 2013 – वर्ष 2023
वरोरा -631(वर्ष 2013) - 2155(वर्ष 2023)
चिमूर -4825(वर्ष 2013) - 1827(वर्ष 2023)
नागभिड़ -3129(वर्ष 2013) - 2097(वर्ष 2023)
ब्रम्हपुरी -3456(वर्ष 2013) - 2208(वर्ष 2023)
सावली -1355(वर्ष 2013) - 1448(वर्ष 2023)
सिंदेवाही -3010(वर्ष 2013) - 1586(वर्ष 2023)
भद्रावती -2486(वर्ष 2013) - 1257(वर्ष 2023)
चंद्रपुर -2347(वर्ष 2013) -  1820(वर्ष 2023)
मूल -2011(वर्ष 2013) - 2583(वर्ष 2023)
पोंभूर्णा -1329(वर्ष 2013) - 645(वर्ष 2023)
बल्लारपुर -1841(वर्ष 2013) - 863(वर्ष 2023)
कोरपना -5146(वर्ष 2013) - 1344(वर्ष 2023)
राजूरा -5046(वर्ष 2013) - 1247(वर्ष 2023)
गोंडपिपरी -2201(वर्ष 2013) - 256(वर्ष 2023)
जिवती -345(वर्ष 2013) –256(वर्ष 2023)
कुल - 44838(वर्ष 2013) -22772(वर्ष 2023)


बल्लारपुर व पोंभूर्णा तहसील में घटे कुएं

उपरोक्त सरकारी आंकड़ों को गौर से देखने पर यह ज्ञात होता है कि न केवल जिले में सिंचाई कुओं में कमी आयी है, बल्कि बल्लारपुर व पोंभूर्णा तहसील के गांवों में भी सिंचाई कुएं घट गए है। जबकि मूल तहसील के गांवों में सिंचाई कुओं में बढ़ोतरी नजर आती है। उपरोक्त तीनों तहसीलें पालकमंत्री सुधीर मुनगंटीवार की बरसों से कर्मभूमि हैं। एक ओर जहां मूल तहसील में वर्ष 2013 में 2011 कुएं हुआ करते थे, जो बढ़कर 2583 हो गए हैं। जबकि पोंभूर्णा तहसील में यह 1329 से घटकर 645 पर पहुंच गए हैं। यही हाल बल्लारपुर तहसील का भी है। यहां 1841 से घटकर 863 कुएं ही शेष रह गए हैं। जबकि हाल ही में मंत्री मुनगंटीवार की ओर से उनके फेसबुक पर पोस्ट की गई सिंचाई कुओं संबंधित जानकारी में 30 वर्षों में प्रगति किये जाने का दावा किया जा रहा है। यह दावा असलियत से कोसों दूर प्रतीत होता है।


सिंचन कुओं की योजना व सरकार की मंशा

पूर्व विदर्भ के गडचिरोली, चंद्रपुर, गोंदिया, भंडारा एवं नागपुर जिलों में औसत बारिश संतोषजनक है। लेकिन अनियमित बारिश व सिंचन के अभाव से फसलों पर विपरीत असर होता है। इस पर उपाय के रूप में राज्य सरकार ने 11 हजार सिंचन कुओं के साथ धडक कार्यक्रम गत 11 सितंबर 2016 को शुरू किया था। ऑनलाइन आवेदन के माध्यम से डेढ़ एकड़ से अधिक वाले किसानों को प्राथमिकता दी गई। हजारों कुओं का निर्माण कराया गया। पंचायत समिति के माध्यम से लाभार्थी किसानों के खातों में सीधे अनुदान की राशि पहुंचायी गई। कुओं के निर्माण के बाद बिजली कनेक्शन उपलब्ध कराने के निर्देश बिजली विभाग को सरकार ने दे रखे हैं। इसके पूर्व जवाहर व नरेगा योजना में भी कुओं का निर्माण कराया गया था। सरकार इस प्रकार की योजनाओं पर हर साल करीब 300 करोड़ रुपये खर्च करती है।