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Mungantiwar, who gave the slogan of Namami Gange, failed in cleaning Irai and Jharpat नमामि गंगे का नारा देने वाले मुनगंटीवार इरई व झरपट सफाई में फेल


ताजा प्रशासनीक रिपोर्ट में भी नदियों का जल प्रदूषित होने का दावा

भाजपा के दिग्गज नेता, महाराष्ट्र के वन, मत्स्य व सांस्कृतिक मंत्री तथा चंद्रपुर जिले में बरसों से पालकमंत्री पद की कमान संभाल रहे सुधीर मुनगंटीवार अपने ही खुद के जिले की नदियों का प्रदूषण दूर करने में फेल साबित हुए है। नमामि गंगे का नारा देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिया। इसके बाद भाजपा ने सर्वत्र नदियों की सफाई की मुहिम चलाई। मंत्री मुनगंटीवार ने भी जिले के वर्धा, इरई, झरपट नदी की सफाई का प्रयास किया। देवी माता महाकाली के मेले के सफाई झरपट नदी की सफाई की खानापूर्ति की जाती रही है। लेकिन पानी में मौजूद प्रदूषण को एक दिन में दूर नहीं किया जा सकता। अब ताजा प्रशासनीक रिपोर्ट भी जिले की उक्त नदियों का पानी प्रदूषित होने का दावा कर रही है। इसके चलते मंत्री मुनगंटीवार व उनकी भाजपा द्वारा दिये जाने वाले नमामि गंगे व नदियों की सफाई की मुहिम पर अनेक सवाल उठना लाजिम है।


पेयजल के 2813 नमूने दूषित

पर्यावरण क्षेत्र में बरसों से अनुसंधान करने वाले विशेषज्ञ प्रा. सुरेश चोपणे की प्रकाशित एक लेख में उन्होंने जल प्रदूषण से जुड़े अनेक सनसनीखेज तथ्यों को उजाकर किया है। जिसमें वे प्रशासनीक रिपोर्ट के हवाले से दावा कर रहे हैं कि चंद्रपुर जिले में भूजल सर्वेक्षण विभाग की ओर से 1336 गांवों में 20130 पेयजल नमूनों की जांच की तो 2813 नमूने दूषित पाये गये। 


फ्लोराइड, नाइट्रेट व बेक्टेरिअल युक्त पानी पी रहे 598 गांव के लोग

चंद्रपुर जिले में दूषित 2813 नमूनों से यह पता चलता है कि हजारों-लाखों लोग इस दूषित जल का उपयोग कर रहे हैं। अधिकांश लोग तो इस जल को पी भी रहे होंगे। इन दूषित जल के नमूनों में तय से अधिक मात्रा में जहरीले रसायन पाये गये हैं। इनमें फ्लोराइड, नाइट्रेट, क्लोराइड, पीएच, टीडीएस, सलाइनिटी, लोह एवं बेक्टेरिअल जैसे प्रदूषण के कारण लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर हो रहा है। जिलेे के 598 गांव के लोग इस समस्या से जूझ रहे हैं।


वर्धा नदी : घुग्घुस से राजुरा तक 42 किमी का किनारा प्रदूषित

प्रशासनीक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार जिले की वर्धा नदी भी पुलगांव से राजुरा तक प्रदूषित है। घुग्घुस से राजुरा तक का 42 किमी का तट प्रदूषित माना जाता है। इसमें वरोरा, भद्रावती, बल्लारपुर, राजुरा के अलावा चंद्रपुर शहर का दूषित पानी घूलता है। जिले के 40 उद्योगों का दूषित जल इस नदी में छोड़ा जा रहा है।

दूषित जल शुद्धीकरण में सरकार नाकाम

शहरों से निकलने वाले दूषित जल को शुद्ध करने के लिए सरकार की ओर से करोड़ों की निधि खर्च की जाती है। लेकिन इस निधि के सही उपयोग व योजनाओं के क्रियान्वयन पर किसी भी जनप्रतिनिधि का ध्यान नहीं है। यही हाल चंद्रपुर जिले का है। चंद्रपुर से निकलने वाला 40-50 एमएलडी दूषित जल व अन्य तहसीलों का 15 एमएलडी दूषित जल नदी में छोड़ा जा रहा है। संपूर्ण जल को शुद्ध कर नदी में नहीं छोड़ा जाता। 

बल्लारपुर का जल शुद्धीकरण संयंत्र कार्यान्वित नहीं

बताया जाता है कि बल्लारपुर शहर के लिए प्रस्तावित किया गया 16 एमएलडी जल शुद्धीकरण संयंत्र अब तक कार्यान्वित नहीं किया गया है। चंद्रपुर के पठानपुरा, रहमत नगर व आजाद गार्डन में स्थित 70.5 क्षमता वाले एसटीपीए को अब तक शहर के नालियों से नहीं जोड़ा जा सका है। अन्य तहसीलों में भी जल शुद्धीकरण संयंत्र आवश्यक होने के बावजूद कोई नेता इस पर ध्यान नहीं दे रहा है।

 

इरई व झरपट नदी के नमूने प्रदूषित, नेताओं के दावे फेल

उल्लेखनीय है कि प्रदूषण नियंत्रण मंडल की ओर से घुग्घुस, वढा, हडस्ती, राजुरा पुल, चंद्रपुर एमआईडीसी, ताड़ाली, इरई, झरपट आदि स्थानों पर के जल नमूनों की जांच की तो सभी नमूने दूषित पाये गये। हर साल देवी माता महाकाली का मेला लगता है, तब प्रशासन और नदी के नाम पर राजनीति करने वाले नेताओं को झरपट नदी की सफाई का ख्याल आ जाता है। खानापूर्ति के लिए झरपट नदी पर मौजूद गंदगी और इकोर्निया की सफाई की जाती है। लेकिन इस नदी के जल में मौजूद जहरीले तत्वों को रोकने के लिए सत्ताधारी नेताओं के पास कोई ठोस नियोजन नहीं है। पालकमंत्री सुधीर मुनगंटीवार और उनकी भाजपा सदैव नमामि गंगे का नारा देती है। लेकिन जिले की प्रदूषित नदियों की सफाई के मामले में मंत्री मुनगंटीवार, उनके भाजपा की ओर से चंद्रपुर मनपा की सत्ता भोगने वाले नेता, प्रशासन आदि सभी के प्रयास इस प्रदूषण को रोकने में फेल साबित हो रहे हैं। यह एक गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है।