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Chandrapur's decline in livestock and dairy business पशुधन व दुग्ध व्यवसाय में चंद्रपुर की अधोगति

 


गाय पर ज्ञान देने वाली भाजपा व मंत्री सुधीर मुनगंटीवार क्यों नहीं सुधार पाएं व्यवस्था

@चंद्रपुर
15 फरवरी 2020 को भाजपा के वरिष्ठ नेता सुधीर मुनगंटीवार ने बल्लारपुर तहसील के किन्हीं गांव में आयोजित पशु प्रदर्शनी के उद्घाटन समारोह में दावा किया कि हम गाय को माता का दर्जा देते हैं। उसे गौमाता कहते हैं। क्योंकि गाय के दूध में मौजूद गुण, गोमुत्र व गोबर आदि विविध वस्‍तुंओं के निर्माण में उपयुक्त है। जिले में पशु धन विकास के लिए जे.के. ट्रस्ट के माध्य म से 15 एकात्‍मिक पशु धन विकास केंद्र शुरू करने के लिए उन्होंने पहल की मारोडा से श्‍वेतक्रांति की शुरुआत की गई। दुग्ध उत्‍पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रकल्प वे चला रहे हैं। लेकिन हैरत की बात है कि गाय पर ज्ञान देने वाली भाजपा और उसके मंत्री सुधीर मुनगंटीवार बीते 8 वर्षों से चंद्रपुर जिले के पालकमंत्री के तौर पर कमान संभाल रहे हैं, उनके तमाम प्रयासों के बावजूद वे पशु धन बढ़ाने व दुग्ध व्यवसाय में श्वेतक्रांति लाने में यहां विफल साबित हुए हैं। पशुधन व दुग्ध व्यवसाय में चंद्रपुर की अधोगति प्रशासनीक रिपोर्ट से स्पष्ट दिखाई पड़ रही है।


2 लाख 79 हजार 969 पशुओं की संख्या घटी

बीते 10 वर्षों का पशु धन का मूल्यांकन करने पर ज्ञात होता है कि चंद्रपुर जिले में 2 लाख 79 हजार 969 पशुओं की संख्या घट गई है। प्रशासनीक रिपोर्ट की माने तो वर्ष 2013 में दी गई जानकारी के अनुसार जिले में पशुओं की संख्या 10,30,432 थीं। वहीं यह संख्या वर्ष 2023 में घटकर 7,50,454 पर पहुंच गई हैं। 8 वर्ष जिले के पालकमंत्री रहते हुए भी सुधीर मुनगंटीवार को पशु धन की संख्या बढ़ाने में कामयाबी नहीं मिल पायी है। जबकि वर्ष 2003 से 2007 के दौरान पशु धन में 96.8 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी। इस लिहाज से मुनगंटीवार का कार्यकाल संतोषजनक नजर नहीं आता।


जुलाई 2022 से सरकारी दूध योजना का संकलन बंद

20 जून 2022 को महाराष्ट्र की सत्ता संभालने वाले एकनाथ शिंदे की सरकार ने भाजपा नेता सुधीर मुनगंटीवार मंत्री बने। पश्चात उन्हें चंद्रपुर जिले का पालकमंत्री भी बनाया गया। लेकिन आश्चर्य की बात है कि गाय पर ज्ञान देने वाली भाजपा व उसके नेता मुनगंटीवार के हाथों में चंद्रपुर जिले की कमान होने के बावजूद दुग्ध व्यवसाय में गौराळू जाति के गाय व भैंसों की संख्या प्रमुख होते हुए भी जिले का सरकारी दूध संकलन की व्यवस्था चौपट हो गई। सरकारी रिपोर्ट के अनुसार 3 जुलाई 2022 को सरकार ने चंद्रपुर में मौजूद सरकारी दूध योजना का दूध संकलन बंद कर दिया। 

बंद कर दिये गये 6 पशु अस्पताल

जिले में आज भी बड़ी संख्या में दुग्ध व्यवसाय किया जाता है। लाखों की संख्या में पशु मौजूद है। लेकिन वर्ष 2013 में जहां जिले में कुल 37 पशु चिकित्सा अस्पताल हुआ करते थे, वहीं आज मौजूदा दौर में 31 पशु चिकित्सा अस्पताल चलाये जा रहे हैं। यह हालात जिले में विकास व श्वेतक्रांति की नहीं, बल्कि अधोगति की ओर इशारा करते हैं।