■ 8 साल वनमंत्री रहते हुए भी राजस्व बढ़ाने में मुनगंटीवार नाकाम
■ मुनगंटीवार के प्रयास वनोत्पादन बढ़ाने में क्यों हुए बेअसर ?
■ बांस, तेंदूपत्ता व इमारती लकड़ी के राजस्व में कमी
@चंद्रपुर
वर्ष 2014 से 2019 तक और जून 2022 से अब तक महाराष्ट्र सरकार में वन मंत्री के पद की बखूबी जिम्मेदारी संभालने वाले भाजपा के वरिष्ठ नेता सुधीर मुनगंटीवार न केवल वनमंत्री रहे हैं, बल्कि वे चंद्रपुर जिले के पालकमंत्री भी हैं। तमाम प्रशासनीक और सरकार के फैसलों में अहम भूमिका मुनगंटीवार की रही है। नीति निर्धारण, नियोजन व सरकार की करोड़ों की धन राशि के खर्च में भी उनका रोल मुख्य रहा है। इसके बावजूद चंद्रपुर वन विभाग की आमदनी बढ़ाने में मुनगंटीवार यहां नाकाम साबित हुए हैं। एक सरकारी रिपोर्ट में इस अधोगति का खुलासा हुआ है। प्रशासनीक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2013 की तुलना में करीब 67 करोड़ के आमदनी में कमी आयी है। यह आमदनी चंद्रपुर वन विभाग को बांस, तेंदूपत्ता व इमारती लकड़ी, सागौन आदि से प्राप्त होता है।
मुनगंटीवार के रहते राजस्व की अधोगति
प्रदेश के वनमंत्री एवं जिले के पालकमंत्री सुधीर मुनगंटीवार जैसे दमदार नेता और भाजपा के वरिष्ठ नेता वन विभाग के मुखिया रहते हुए भी चंद्रपुर वन विभाग के राजस्व की अधोगति दिखाई पड़ रही है। एक ओर जहां मुनगंटीवार की अगुवाई में 9 करोड़ रुपये ताड़ोबा महोत्सव के नाम पर महज 3 दिन में फूंक दिये गये, 65 हजार पौधों से भारत माता शब्द बनाकर चंद्रपुर को गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल किया गया, अयोध्या के राम मंदिर में चंद्रपुर की लकड़ी भेजकर 2.25 करोड़ की आमदनी प्राप्त की गई, नये संसद के लिए भी लकड़ी पहुंचाई गई। वहीं दूसरी ओर बीते 10 में से 8 वर्ष मुनगंटीवार वनमंत्री रहते हुए भी चंद्रपुर वन विभाग का राजस्व 67 करोड़ रुपयों से घट गया, यह आश्चर्य की बात है। इस अधोगति को लेकर अब अनेक सवाल उठने लगे हैं।