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इलेक्टोरल बॉन्ड में ‘चंद्रपुरी टोल’ ने दिये 7 करोड़


■ नेताओं का करोड़पति दानदाता कौन और क्या है चंद्रपुर से कनेक्शन ?

688 करोड़ के किस ठेके से कौन-कौन हुए लाभान्वित ?

@चंद्रपुर

भारत भर में इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर भूचाल मचा है। करोड़पति दानदाताओं की सूची में दर्ज कंपनियां और उनसे मिले चंदे को लेकर चर्चा जोरों पर है। इन कंपनियों को राजनीतिक दलों से मिले लाभ व ठेकों की समीक्षा की जा रही है। इस 763 पृष्ठों की सूची में एक कंपनी का नाम चंद्रपुर जिले से संबंधित है। इस कंपनी ने एक-एक करोड़ के कुल 7 अर्थात 7 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड राजनीतिक दल को दिये। 337 पृष्ठों की प्रथम PDF सूची में पेज नंबर 321 पर दर्ज इस कंपनी ने वरोरा-चंद्रपुर-बल्लारपुर की सड़क व टोल का 688 करोड़ का निर्माण कार्य किया है। लाभान्वित इस ठेके के बदले में 7 करोड़ की धनराशि नेताओं की जेब में डाली गई। 

चंद्रपुरी कंपनी ने कब खरीदे 7 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड ?

चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार वरोरा-चंद्रपुर-बल्लारपुर टोलरोड लिमिटेड नामक कंपनी ने राजनीतिक दल को 7 करोड़ का चंदा देने के लिए 20 नवंबर 2023 को एक-एक करोड़ के कुल 7 इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे हैं। उल्लेखनीय है कि बल्लारपुर से चंद्रपुर होते हुए वरोरा से दिल्ली के नये संसद तक और अयोध्या के श्री राम मंदिर के प्रवेशद्वार व फर्नीचर के लिए काष्ठ अर्थात लकड़ी भेजी गई। उल्लेखनीय है कि भाजपा को 1-1 करोड़ कीमत वाले 5854 बाॅन्ड मिले हैं।

क्या है चंद्रपुरी कंपनी का लेखाजोखा ?

30 अक्तूबर 2009 को पंजीकृत वरोरा-चंद्रपुर-बल्लारपुर टोल रोड लिमिटेड नामक गैरसरकारी कंपनी निर्माण कार्य के विविध प्रोजेक्ट लेती है। 2021 की अंतिम बैलेंस शिट में इस कंपनी की अधिकृत घोषित संपत्ती 177 करोड़ रुपये हैं। इस कंपनी को IL & FS Transportation Networks Ltd प्रमोट किया गया है। विश्वराज इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड और दिवा मीडिया प्राइवेट लिमिटेड द्वारा भी इसका संचालन होता है। वरोरा चंद्रपुर बल्लारपुर बामनी सड़क, पुल एवं टोल आदि के फोरलेन के लिए इसे पदोन्नत किया गया है। EPC ( Engineering, Procurement, and Construction) ठेका विश्वराज इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को 688 करोड़ में दिया गया था। इस परियोजना में 257.88 किमी लेन के निर्माण का उल्लेख है। जनवरी 2041 तक कनसेशन समाप्ति की मियाद दी गई है। इसमें 2 टोल प्लाजा का समावेश है। 


कौन-कौन है संचालक ?

मुख्य कंपनी IL & FS Transportation Networks Ltd के संचालक सी.एस.राजन, नंद किशोर, डॉ. राजीव ओबेराय, सुब्रत कुमार मित्र, डॉ. जगदीश नारायण सिंह व कौशिक मोडक है। वहीं वरोरा-चंद्रपुर-बल्लारपुर टोल रोड लिमिटेड कंपनी में संचालक के तौर पर राजेश केला, जयंत पाठक, शिल्पा अग्रवाल, सिद्धार्थ लखाने, अनुराग श्रीवास्तव व चंद्रमोहन अग्रवाल के नाम का समावेश है। इस कंपनी का कार्यालयीन पता मधु-माधव टॉवर, लक्ष्मी भवन चौक, धरमपेठ, नागपुर के नाम से दर्ज है।

 

लाॅटरी गेमिंग कंपनी से राजनेताओं को लाभ

चुनावी बॉन्ड का डेटा 12 अप्रैल 2019 से 11 जनवरी 2024 तक का है। राजनीतिक पार्टियों को सबसे ज्यादा चंदा देने वाली कंपनी फ्यूचर गेमिंग और होटल सर्विसेज पीआर है, जिसने 1,368 करोड़ के बॉन्ड खरीदे। इस कंपनी के खिलाफ लॉटरी रेगुलेशन एक्ट 1998 के तहत और आईपीसी के तहत कई मामले दर्ज हैं। भाजपा सबसे ज्यादा चंदा लेने वाली पार्टी है। भाजपा को सबसे ज्यादा 6,060 करोड़ रुपए मिले हैं।
 

किसने-किसको चंदा दिया ?

सूची में बॉन्ड खरीदने वालों और इन्हें इनकैश कराने वालों के तो नाम हैं, लेकिन यह पता नहीं चलता कि किसने यह पैसा किस पार्टी को दिया? इस मामले में याचिका लगाने वाले ADR के वकील प्रशांत भूषण ने सवाल उठाया कि एसबीआई ने वह यूनिक कोड नहीं बताया, जिससे पता चलता कि किसने-किसे चंदा दिया। ऐसे में कोड की जानकारी के लिए वे फिर सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं। 

इलेक्टोरल बॉन्ड की स्कीम क्या है ?

चुनावी या इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम 2017 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पेश की थी। यह एक तरह का प्रॉमिसरी नोट होता है। इसे बैंक नोट भी कहते हैं। इसे कोई भी भारतीय नागरिक या कंपनी खरीद सकती है। 2017 में अरुण जेटली ने इसे पेश करते समय दावा किया था कि इससे राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाली फंडिंग और चुनाव व्यवस्था में पारदर्शिता आएगी। ब्लैक मनी पर अंकुश लगेगा। वहीं, विरोध करने वालों का कहना था कि इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाले की पहचान जाहिर नहीं की जाती है, इससे यह चुनावों में काले धन के इस्तेमाल का जरिया बन सकते हैं। बाद में दिसंबर, 2019 में याचिकाकर्ता एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने इस योजना पर रोक लगाने के लिए प्रयास शुरू किया।