रोजगार पंजीयन सूची में
जिले के कुल 1,45,674 शिक्षित बेरोजगारों के नाम दर्ज
12 वर्षों से जिलावासी कर रहे नये व बड़े
उद्योगों की प्रतीक्षा
चुनाव
करीब आते ही हर राजनीतिक दल लोकलुभावन आश्वासनों व दावों के साथ वोटरों को लुभाने
के लिए मैदान में उतरती है। शिक्षित व बेरोजगार युवाओं को रोजगार तथा उद्योगों में
नौकरियों के ख्वाब दिखाये जाते हैं। चुनाव से ठीक पूर्व रोजगार सम्मेलन, उद्योग
परिचर्चा व MOU जैसे इवेंट लिये जाते हैं। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने
वर्ष 2014 के पूर्व सत्ता में आने के पहले देश की जनता को हर साल 2 करोड़ युवाओं को
रोजगार देने का सपना दिखाया था। लेकिन ऐसे तमाम दावे जमीनी हकीकत से कोसों दूर
हैं। बीते 12 वर्षों में चंद्रपुर जिले के 242 में से 62 उद्योग बंद हो गये। जबकि
स्थानीय रोजगार व पंजीयन कार्यालय की सूची में वर्ष 2023 के अंत तक जिले के कुल
1,45,674 शिक्षित बेरोजगारों के नाम दर्ज हैं। इन्हें बरसों से नये व बड़े उद्योगों
की प्रतीक्षा हैं।242 उद्योगों से घटकर 180 पर पहुंच गये
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार चंद्रपुर जिले में 10 लाख 58 हजार 178 कामगारों की संख्या हैं। यह संख्या कुल जनसंख्या के अनुपात में केवल 48 प्रतिशत ही है। इनमें से अधिकांश किसान और खेत मजदूर हैं। जबकि जिले के विविध उद्योगों में कुल 35 हजार 362 ही कामगार कार्यरत हैं। इनमें भी सामान्यत: स्थानीय युवाओं को रोजगार नहीं मिलने व बाहरी राज्यों के कामगारों को रोजगार देने की शिकायतें आये दिन मिलते रहती है। कुल 35 हजार 362 कामगारों में से 17 हजार 544 कामगार दुकानों में, 15 हजार 45 कामगार व्यापारी संस्थानों में, 2569 कामगार होटलों में, 61 कामगार थियेटरों में तथा अन्य कार्यों में 143 कामगार कार्यरत हैं। उद्योगों की बात की जाएं तो वर्ष 2013 में बचत समूहों के स्वकार्यरत छोटे उद्योगों की कुल संख्या 53 हजार 221 थी, जो घटकर अब 51 हजार 330 पर पहुंच चुकी हैं। जिले के पंजीकृत प्रमुख उद्योगों से संबंधित प्रशासनीक रिपोर्ट हमें बताती है कि वर्ष 2013 में जिले में कुल 242 उद्योग थे। इनमें से 33 कारखाने शुरुआती दौर में ही बंद हो गये। 209 कारखाने चल रहे थे। इनमें 18969 कामगारों को रोजगार मिला। जबकि वर्ष 2023 में पंजीकृत 182 ही उद्योग शेष रह गये। अर्थात गत 10 वर्षों में 62 उद्योग बंद हो गये। वर्ष 2023 तक पंजीकृत 182 में से 180 कारखाने शुरू स्थिति में दर्शाये गये हैं। हालांकि यह बात सच है कि इन कारखानों की संख्या घटने के बावजूद कामगारों की संख्या बढ़ी है। वर्तमान में 226713 कामगार कार्यरत हैं।
औद्योगिक संकुल व भूमि बदहाल
जिले में उद्योगों के विकास के लिए महाराष्ट्र राज्य औद्योगिक विकास मंडल की ओर से लगभग हर तहसील मुख्यालयों पर सैंकड़ों एकड़ भूमि आरक्षित रखी है। लेकिन सरकार एवं जनप्रतिनिधियों की ओर से इस दिशा में विशेष ध्यान नहीं दिये जाने के कारण अधिकांश भूमि बंजर पड़ी है। पडोली के 214 हेक्टेयर भूमि पर 329 उद्योग, ताड़ाली के 690 हेक्टेयर भूमि पर 223 उद्योग तथा घुग्घुस के 409 हेक्टेयर भूमि पर 4 उद्योग, चंद्रपुर के इंडस्ट्रियल इस्टेट के 43 एकड़ भूमि पर उद्योग चल रहे हैं। जबकि भद्रावती, वरोरा, मूल, राजुरा, चिमूर, गोंडपिपरी, नागभिड़, सिंदेवाही आदि स्थानों पर अधिकांश भूमि उद्योग विहिन है।
जनप्रतिनिधियों का नहीं विशेष ध्यान
चंद्रपुर जिले में करीब ढ़ाई वर्ष कांग्रेस के पालकमंत्री विजय वडेट्टीवार ने जिले की कमान संभाली। शेष अनेक वर्षों तक प्रदेश के वर्तमान वन मंत्री व भाजपा नेता सुधीर मुनगंटीवार ही पालकमंत्री रहे हैं। गत सरकार में वे महाराष्ट्र के वित्त मंत्री भी रहे, लेकिन जिले में कोई नया व बड़ा उद्योग लाने में किसी को भी कामयाबी नहीं मिल सकीं। जबकि जिले में रोजगार के मामले में बीते 10 वर्षों में 63 हजार 199 सुशिक्षित बेरोजगारों की संख्या बढ़ी है। वहीं वर्ष 2013 के मुकाबले में 63.30 प्रतिशत से रोजगार मिलने के दर में कटौती आयी है। करीब 3 वर्ष पूर्व तत्कालीन पालकमंत्री विजय वडेट्टीवार ने एक पत्रपरिषद में दावा किया था कि भाजपा राज में जिले के लगभग 150 उद्योग बंद हुए हैं।
नाकाफी प्रयासों को लेकर युवा उठाने लगे सवाल
जिला कौशल्य विकास, रोजगार व उद्योजकता मार्गदर्शक केंद्र के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2023 में 5,256 उम्मीदवारों ने रोजगार हेतु पंजीयन कराया था। वर्ष 2023 के अंत तक पंजीयन सूची में कुल 1,45,674 बेरोजगार युवाओं के नाम दर्ज किये गये। इनमें से केवल 1116 उम्मीदवारों को ही रोजगार प्राप्त हो पाया है। वर्ष 2022-23 की तुलना में रोजगार पाने वाले उम्मीदवारों की संख्या में कमी का दावा स्वयं प्रशासनीक रिपोर्ट करती है। जब वर्ष 2013 में चंद्रपुर जिले में शिक्षित बेरोजगारों की संख्या 82,475 थीं, वहीं यह संख्या वर्ष 2023 में बढ़कर 1,45,674 तक पहुंच गई है। हैरत की बात है कि वर्ष 2013 में जिले के जहां 1763 शिक्षित बेरोजगारों को रोजगार मिला, वहीं वर्ष 2023 में यह संख्या घटकर 1116 पर पहुंच गई है। इसलिए लंबे समय तक सत्ता भोगने वाले भाजपा के वरिष्ठ नेता व जिले के पालकमंत्री सुधीर मुनगंटीवार को लेकर उद्योग व रोजगार की दिशा में किये गये नाकाफी प्रयासों को लेकर युवा सवाल उठाने लगे हैं।