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आयकर छापा पीड़ित ‘चंद्रपुरी’ स्वामी फ्यूल्स ने दिया 5 करोड़ का चंदा




इलेक्टोरल बॉन्ड में वे 4 दानदाता करोड़पति कोयला व्यापारी हैं कौन ?

चंद्रपुर से क्या है कनेक्शन और कैसे घेरकर चंदे में फांसे गये ?

@चंद्रपुर

देश में उठा इलेक्टोरल बॉन्ड का बवंडर थमने का नाम ही नहीं ले रहा। राजनीतिक दलों को मिले चंदे में चंद्रपुर का कनेक्शन होने की एक खबर कल प्रसारित की गई थी। जिसमें कुल 7 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड वरोरा-चंद्रपुर-बल्लारपुर टोलरोड लिमिटेड नामक कंपनी द्वारा दिये जाने की जानकारी को उजागर किया गया था। SBI की सूची में अब एक और नाम उजागर हुआ है। चंद्रपुर के कोयला व्यापार से संबंधित और हमेशा से विवादों में रहे स्वामी फ्यूल्स प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी ने 7 अक्तूबर 2022 को कुल 5 बॉन्ड खरीदे। एक-एक करोड़ के यह बॉन्ड कंपनी पर हुए आयकर की कार्रवाई और देश के चर्चित कोयला घोटाले के उजागर होने के बाद खरीदे गये। कुल 5 करोड़ की यह धनराशि चंद्रपुर से राजनेताओं के जेब तक पहुंची हैं।


टोल से 7 करोड़, कोयले से 5 करोड़

ज्ञात हो कि वरोरा-चंद्रपुर-बल्लारपुर टोलरोड लिमिटेड नामक कंपनी ने राजनीतिक दल को 7 करोड़ का चंदा देने के लिए 20 नवंबर 2023 को एक-एक करोड़ के कुल 7 इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे थे। अब स्वामी फ्यूल्स प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी से 5 करोड़ का धन राजनेताओं तक पहुंचा है। यह कंपनी कोयले के क्षेत्र के व्यापार करती है। इस कंपनी पर अनेक बार गंभीर आरोप लग चुके हैं। कार्य व वित्तीय अनियमितताओं के चलते आयकर एवं अन्य विभागों के निशाने पर यह कंपनी रही है। इसके बावजूद राजनीतिक दलों ने इनसे चंदा लिया। तब से कंपनी के खिलाफ चल रही सरकारी कार्रवाई पर विराम लगा हुआ है। उल्लेखनीय है कि चुनाव आयोग की वेबसाइट पर दर्ज सूची के अनुसार भाजपा को 1-1 करोड़ कीमत वाले कुल 5854 बाॅन्ड मिले हैं। 

8 करोड़ की कंपनी ने दिया 5 करोड़ का दान

कोयला आपूर्ति व परिवहन के क्षेत्र में काम करने वाली स्वामी फ्यूल्स प्राइवेट लिमिटेड नामक यह गैरसरकारी कंपनी 16 सितंबर 2010 से कार्यरत है। 31 मार्च 2020 के बैलेंस शीट के अनुसार इसकी कुल अधिकृत पूंजी 8 करोड़ है। लेकिन हैरत की बात है कि 8 करोड़ की क्षमता वाली इस कंपनी ने महज 2 साल बाद अर्थात 7 अक्तूबर 2022 को 5 करोड़ रुपये चुनावी चंदे के रूप में दान कर दिये।
 

स्वामी फ्यूल्स कंपनी के संचालक कौन ?

वर्ष 2010 में पंजीकृत स्वामी फ्यूल्स प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी को नागपुर के रामदासपेठ के लेंड्रा पार्क के पास स्थित एक कार्यालय से संचालित किया जा रहा है। चंद्रपुर शहर के वड़गांव में भी इसका एक कार्यालय मौजूद है। कंपनी के स्थापना के समय से इसके संचालकों में रणजीत सिंह छाबड़ा, श्यामसुंदर मित्तल एवं संदीप अग्रवाल का नाम शामिल है। लेकिन विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार नितीन उपरे नामक कोयला व्यवसायी इस कंपनी के तमाम कार्यकलापों में सक्रियता से सहभागी होने की जानकारी मिली है।
 

स्वामी फ्यूल्स पर आयकर विभाग की कार्रवाई

जुलाई 2019 के दौरान कोयला ट्रेडिंग फर्म स्वामी फ्यूल्स नामक इस कंपनी पर आयकर विभाग ने छापामार कार्रवाई की थी। तब से इस कंपनी पर सरकार की पैनी नजर थी। आयकर विभाग के छापे के दौरान नागपुर, चंद्रपुर और बिलासपुर समेत कुल 19 परिसरों में तहकीकात की गई थी। लगभग 150 अधिकारियों ने सभी निदेशकों के विभिन्न व्यावसायिक और आवासीय परिसरों में तलाशी ली थी। चंद्रपुर में भी उनके निवास स्थानों व कार्यालय में जांच की गई थी। जांच के दौरान अधिकारियों ने भारी कर चोरी से संबंधित आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त किए थे। साथ ही नकदी, आभूषण और दस्तावेज भी जब्त किये गये थे। यह कंपनी नागपुर और चंद्रपुर के बड़े बिजली संयंत्रों को कोयले की आपूर्ति करती हैं। कोयले की आपूर्ति की मात्रा प्रति माह 35,000 मीट्रिक टन से 75,000 मीट्रिक टन (एमटी) के बीच होती है। हालांकि करदाता इस कंपनी द्वारा आयकर रिटर्न में दिखाई गई आय, व्यवसाय की मात्रा की तुलना में बहुत कम थी। कंपनी के निदेशकों के पास बड़ी संपत्ति, भारी लेनदार और असुरक्षित ऋण होने से यह कार्रवाई की गई। वहीं जनवरी 2022 की एक रिपोर्ट के अनुसार सिंगरौली में जो 10 करोड़ रुपये का कोयला बरामद हुआ था और 8 ट्रांसपोर्टरों पर अपराध दर्ज किया गया था, उस मामले में भी स्वामी फ्यूल्स का 4000 टन कोयला अवैध पाया गया था।
 

विमला साइडिंग से मिलावट में उछला था नाम

गत वर्ष विमला साइडिंग पर 3 बड़ी कंपनियों के कोल प्लेटफॉर्म थे। इनमें चड्डा बंधुओं का कैलिबर मरचंटाइल प्राइवेट लिमिटेड तथा उपरोक्त 4 कोयला व्यापारियों का स्वामी फ्यूल्स प्राइवेट लिमिटेड के अलावा गुप्ता का महामिनरल बेनेफिकेशन प्राइवेट लिमिटेड का समावेश था। गुप्ता कोल वाशरिज से वॉश कोल के नाम पर क्रश कोल को विमला साइडिंग पर डंप किया जाता था। इसमें स्लरी की मिलावट के पश्चात घटिया कोयले को वैगन में लोड कर सीटीपीएस भेजा जाता रहा था। इन ठिकानों पर कोयले में मिलावट करने के लिये डोलाचार(चारफाइन) बड़ी मात्रा में उपयोग में लायी गई थी। विमला साइडिंग के इन प्लेटफॉर्म से कैलिबर एवं स्वामी फ्यूल्स की ओर से बिना रसीदों के ऊंचे दर्जे का कोयला 8 हजार 200 रुपये प्रति टन में निजी कोयला व्यापारियों को बेचा जा रहा था। सीटीपीएस के लिये अच्छे दर्जे का व बड़ा कोयला क्रश कर उन्हें देने के बजाय स्लरी व डोलाचार मिलावट वाला 100 रुपये प्रति टन की गंदगीयुक्त कोयला भेजा रहा था। हर दिन करीब 18 हजार मीट्रिक टन घटिया कोयला 4 रैक के माध्यम से सीटीपीएस को भेजा जा रहा था। गौरतलब है कि राजुरा के पांढरपवनी स्थित भाटिया कोल वाशरीज से भी यही गोरखधंधा चल रहा था। लेकिन अनेक शिकायतों के बावजूद प्रशासन व सरकार ने कभी इसकी दखल तक नहीं ली। और अब इस इलेक्टोरल बॉन्ड के 5 करोड़ रुपये के दान से संदेह निर्माण होना लाजिम है।
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