■ ZP
के पूर्व अध्यक्ष देवराव भोंगले व संध्या गुरनुले की सत्ता पर कलंक
■ RTE
प्रतिपूर्ति में 1.75 लाख की गड़बड़ी : ZP अफसर निष्क्रिय, दोषी डायमंड ज्युबिली
कान्वेंट पर कोई कार्रवाई नहीं
@चंद्रपुर
विकास पुरुष के रूप में
प्रख्यात व जिले के पालकमंत्री सुधीर मुनगंटीवार के कर्म क्षेत्र अर्थात उनके अपने
विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के पोंभूर्णा में शिक्षा प्रणाली को कलंबित करने,
सरकारी निधि को चूना लगाने व प्रशासन की मिलीभगत से दोषियों को संरक्षण देने जैसा
एक सनसनीखेज मामला डायमंड ज्युबिली कान्वेंट में उजागर हुआ है। यहां RTE अर्थात
शिक्षा का अधिकार कानून के तहत आरक्षित सीटों से अधिक दर्शाकर सरकारी निधि का गबन
किया गया। परंतु बीते 7 वर्षों में BJP के सत्ताधिकारियों ने, ZP में सत्ता भोगने वाले
व भाजपा जिलाध्यक्ष देवराव भोंगले तथा जिप अध्यक्ष संध्या गुरनुले ने कभी इस मामले
को गंभीरता से नहीं लिया। इसके चलते कान्वेंट के संचालकों एवं संबंधित स्थानीय
पोंभूर्णा के शिक्षा विभाग के अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।
दोषी स्कूल संचालक से केवल
बकाया वसूली की राशि 1 लाख 75 हजार 162 में से 1 लाख 22 हजार 400 रुपये वसूल कर
जिला परिषद का शिक्षा विभाग खुद को धन्य समझ रहा है। इस गंभीर घोटाले को लेकर न तो
जिप के भाजपा नेतागण कुछ कर पा रहे हैं और न ही शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों
तथा जिप प्रशासन के प्रमुख अफसरों की कोई चिंता है। और तो और जिले के पालकमंत्री सुधीर
मुनगंटीवार भी अपने पोंभूर्णा क्षेत्र में घटित इस घोटाले पर कोई सख्ती दिखा पाएं।
ईमानदारी का ढिंढोरा पिटने वाली भाजपा, जिप के सत्ता में होते हुए घोटालों पर
चुप्पी साधे बैठना शिक्षा क्षेत्र के लिए चिंताजनक हालात हैं।
क्या है पूरा मामला ?
पोंभूर्णा के डायमंड
ज्युबिली कान्वेंट में RTE के तहत जिन बच्चों के नाम से फीस के ऐवज में सरकार से
शुल्क प्रतिपूर्ति ली गई, वह तय मर्यादा व क्षमता से अधिक थी। सरकारी रिपोर्ट में
अधिक बच्चों के नाम दर्ज कराकर इस स्कूल के संचालकों ने वर्ष 2016-17 से 12 बच्चों
के अधिक नाम जोड़कर उनके हक की राशि का गबन कर दिया। बावजूद जिला परिषद के तत्कालीन
मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने मंजूर दी तो इन्हें 3 लाख 63 हजार 798 रुपयों की राशि
वितरित की गई। जब घोटाला उजागर हुआ तो इसमें 1 लाख 75 हजार 162 रुपये सरकार से
अधिक वसूल कर गबन किये जाने का मामला उजागर हुआ। सर्वप्रथम इस प्रकरण को लेकर एक
शिकायकर्ता व सेवानिवृत्त गुट शिक्षा अधिकारी ने शिक्षा विभाग समेत जिप प्रशासन
एवं शिक्षा संचालक तक शिकायत कर दी। इसके बावजूद अफसरों की नींद नहीं खुल पा रही है।
शिक्षा संचालक को भेज दी
झूठी रिपोर्ट
शिकायतकर्ता की ओर से की
गई शिकायत के बाद शिक्षा विभाग अपने माहतहत कनिष्ठ अफसरों के संरक्षण में उतर आये।
इसके बावजूद उनकी ही रिपोर्ट उनके भ्रष्ट कार्यप्रणाली की पोल खोल रही है। रिपोर्ट
में वे साफ-साफ स्वीकार कर रहे हैं कि पोंभूर्णा पंचायत समिति के गुटशिक्षणाधिकारी
की जांच रिपोर्ट में डायमंड ज्युबिली कान्वेंट में वर्ष 2016-17 के RTE कोटे में
12 विद्यार्थी अधिक दर्शाये गये। गुटशिक्षणाधिकारी ने अधिक विद्यार्थियों की शुल्क
प्रतिपूर्ति मंजूर कर राशि भी दे दी। प्रति विद्यार्थी 13 हजार 474 के अनुसार 1
लाख 75 हजार 162 रुपये ज्यादा राशि सरकार से अदा करवाने में शिक्षा विभाग ने कोई
कसर नहीं छोड़ी। पोंभूर्णा पंचायत समिति के शिक्षा विभाग की ओर से बिना जांच-पड़ताल
के इस कान्वेंट को राशि दिलाने के लिए सरकार को चूना लगाया गया।
दोषियों से फीस वसूली में
भी शिक्षा विभाग फीसड्डी
शिकायतकर्ता की लगातार
शिकायतों एवं शिक्षा संचालक से पत्राचार के बाद जब चंद्रपुर जिला परिषद प्रशासन को
कार्रवाई के लिए बाध्य होना पड़ा तो उन्होंने RTE शुल्क प्रतिपूर्ति की राशि में से
वसूली शुरू की। लेकिन अब तक शिक्षा विभाग दोषी कान्वेंट डायमंड ज्युबिली से पूरी
बकाया राशि भी वसूल नहीं पाये हैं। बकाया 1 लाख 75 हजार 162 रुपयों में से 1 लाख
22 हजार 400 रुपये की कटौती की गई है। मानो शिक्षा विभाग डायमंड ज्युबिली कान्वेंट
पर मेहरबानी करना चाहता हो। वहीं शेष राशि 52 हजार 762 वसूल करने में वे फीसड्डी
नजर आ रहे हैं। बीते 7 वर्षों में इस घोटाले की बकाया राशि भी जिप का शिक्षा विभाग
वसूल नहीं पाया, यह हैरत की बात है। कान्वेंट के संचालकों को बचाने एवं पोंभूणा
पंस के शिक्षा विभाग के अफसरों को बचाने की यह नीति भ्रष्ट तंत्र की पोल खोल रही
है।
दोषियों के खिलाफ अपराध
दर्ज क्यों नहीं ?
चंद्रपुर जिप के शिक्षा
विभाग में RTE के तहत यदि पोंभूर्णा जैसे एक स्कूल में शुल्क प्रतिपूर्ति के नाम
पर सरकार को लाखों का चूना लगाया गया और शिकायत के बावजूद दोषी कान्वेंट के संचालकों
तथा पंस पोंभूर्णा के शिक्षा विभाग के अफसरों के खिलाफ अपराध दर्ज करने की कोई
कार्रवाई व पहल नहीं हो पा रही है तो सोचिये जहां की शिकायतें नहीं मिली हो, वहां
इस तरह के तंत्र से सरकार की कितनी राशि लूटी जा रही है। फीस वसूलने में नाकाम िजप
का शिक्षा विभाग क्या दोषियों के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई और अपराध दर्ज करने के
दिशा में कोई सख्त कदम उठा पाएगा, यह सवाल आज भी कायम है। शिक्षा विभाग के भ्रष्ट
तंत्र को लेकर जिप नेताओं की चुप्पी और आला अफसरों की अनदेखी इस घोटाले को समर्थन
करने जैसा प्रतीत हो रहा है।