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सेक्सुअल प्रताड़ता : 45 दिन बाद भी अपराध दर्ज नहीं

चंद्रपुर की ‘चापलूस मीडिया’ ने पुन: दबा दी न्यूज

CSTPS के गंभीर प्रकरण पर महिला संगठन खामोश

विश्व महिला दिवस मनाने वाले भूल गये ‘विशाखा गाइडलाइन’

@चंद्रपुर
कार्य स्थलों पर महिलाओं के साथ लैंगिक उत्पीड़न के मामले आज भी आम बात है। पुलिस भी ऐसी वारदातों को गंभीरता से नहीं लेती है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने विशाखा गाइडलाइन का निर्माण किया। बावजूद महिलाओं के प्रति अपराध थमे नहीं। आखिरकार सरकार को वर्ष 2013 में महिलाओं का कार्य स्थल पर लैंगिक उत्पीड़न निवारण प्रतिषेध और प्रतितोष अधिनियम 2013 बनाना पड़ा। लेकिन हैरत की बात है कि चंद्रपुर में बड़े ही धूमधाम से विश्व महिला दिवस मनाने वाले सम्माननीय यहां के कार्य स्थलों पर विशाखा गाइडलाइन के अनुपालन हो रहा है या नहीं, इस पर कभी मंथन करते हुए नजर नहीं आये।
गत 5 फरवरी 2023 को स्थानीय CSTPS में कार्यरत ठेका सफाई कामगार 3 महिलाएं अन्य 3 गवाहदार महिलाओं के साथ दुर्गापुर थाने में पहुंचीं। विजय इंटरप्राइजेस कामगार आपूर्ति के ठेका कंपनी के सुपरवाइजर व आरोपी मुरारी समृदवार के खिलाफ यौन प्रताड़ना व जाति सूचक गालीगलौज करने की लिखित शिकायत दी। महिलाओं को हमबिस्तर होने के लिए निर्देशित करने, देह व्यापार से जोड़कर उनका चरित्रहनन करने और निचली जाति की महिलाएं करार देते हुए उन्हें अत्यंत अपमानजनक बर्ताव देने का आरोप पीड़ित महिलाओं ने आरोपी पर लगाया। 45 दिन बीतने के बावजूद दुर्गापुर पुलिस ने इस प्रकरण में आरोपी के खिलाफ अपराध दर्ज नहीं किया। पुलिस स्वयं न्यायधीश की भूमिका में आकर फैसले करने पर उतारू होने का आरोप पीड़ित महिलाओं ने लगाया है। पीड़ितों के इस गंभीर प्रकरण को शिक्षक विधायक सुधाकर अड़बाले ने शुक्रवार, 17 मार्च 2023 को विधान परिषद में उठाया। इसके बाद जहां पुलिस महकमे में हरकत दिखाई पड़ रही हैं, वहीं चंद्रपुर की ‘चापलूस मीडिया’ की अब तक नींद नहीं खुल पायी है, इस गंभीर प्रकरण को अधिकांश पत्रकारों ने दबा दिया।

विशाखा गाइडलाइन की यहां उड़ी धज्जियां

किसी महिला को यौन संबंध बनाने के लिए कहना या  अश्लील टिप्पणी करना यौन उत्पीड़न के दायरे में आता है। विशाखा गाइडलाइन के तहत यह अपराध है। लेकिन CSTPS में रसूख रखने वाले अमीर ठेकेदार विजय गीते की कंपनी विजय इंटरप्राइजेस में विशाखा गाइडलाइन का अनुपालन होते हुए दिखाई नहीं पड़ता। यहां 10 से अधिक अर्थात कुल 60 कर्मचारी कार्यरत होने के बावजूद विशाखा गाइडलाइन के अनुसार महिला संरक्षण समिति नहीं बनाई गई है। अपनी अस्मत पर आंच आने के डर से अधिकांश कामकाजी महिलाएं थाने तक जाना पसंद नहीं करतीं, ऐसे में यह समिति कार्य स्थल पर होने वाले यौन उत्पीड़न को रोकने का काम करती हैं। लेकिन विजय इंटरप्राइजेस में ऐसी कोई समिति गठित नहीं की गई है। 

सुपरवाइजर मुरारी समृदवार पर गंभीर आरोप

विजय इंटरप्राइजेस कंपी के साइट सुपरवाइजर मुरारी समृदवार पर CSTPS के भितर ठेका तत्व पर कार्य करने वाली सफाई कामगार 6 महिलाओं ने अनेक गंभीर आरोप लगाए हैं। महिलाओं को हमबिस्तर होने के लिए निर्देशित करने, देह व्यापार से जोड़कर उनका चरित्रहनन करने और निचली जाति की महिलाएं करार देते हुए उन्हें अत्यंत अपमानजनक बर्ताव देते हुए गालीगलौज करने का आरोप पीड़ित महिलाओं ने लगाया है। इसके बाद वे दुर्गापुर थाने से न्याय पाने के लिए चक्कर काटती रही। जब 45 दिनों बाद भी पीड़ित महिलाओं को न्याय नहीं मिला तो वे जिला पुलिस अधीक्षक से न्याय की गुहार लगाने 20 मार्च 2023 को एसपी ऑफिस पहुंच गई। पुलिस प्रशासन के आला अफसरों को ज्ञापन सौंपा गया। लेकिन समाचार लिखे जाने तक आरोपी के खिलाफ किसी भी प्रकार का अपराध दर्ज नहीं किया जा सका है।

विधायक अड़बाले ने विधान परिषद में पूछा सवाल

शिक्षा विधायक सुधाकर अड़बाले को जैसे ही इस गंभीर मामले की भनक लगी, उन्होंने तुरंत 17 मार्च 2023 को विधान परिषद की अध्यक्ष नीलम गोरे के समक्ष अपनी बात रखते हुए इन पीड़ित महिलाओं से संबंधित घटित वारदात की जानकारी सदन को दी। इस प्रकरण में विप अध्यक्ष नीलम गोरे ने भी इस मामले को गंभीर बताते हुए तत्काल जांच रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिये। इसके बाद पुलिस महकमे में हलचल मच गई। 

‘चापलूस मीडिया’ व महिला संगठनों ने साध ली चुप्पी !

CSTPS में घटित महिला सफाई कामगारों के साथ हुई इस गंभीर वारदात की गूंज विधान परिषद में होने के बावजूद चंद्रपुर की “चापलूस मीडिया” के कानों पर जूं तक नहीं रेंग पायी। इस यौन उत्पीड़न के मामले की न्यूज को अधिकांश पत्रकारों ने दबाने का पाप फिर से कर दिया। और तो और हाल ही में विश्व महिला दिवस मनाने तथा महिलाओं के सम्मान व कल्याण में बड़ी बड़ी बातें करने वाले अधिकांश महिला संगठनों और समाजसेविकाओं ने इस प्रकरण को लेकर चुप्पी साध ली है। सफाई कामगार महिलाएं गरीब और पिछड़ी जाति की है। इनके हक व संरक्षण में कोई भी ठोस रूप से उनका साथ नहीं दे पा रहा है। इसके लिए पीड़ित महिलाएं बेहद ही आहत नजर आ रही हैं। 

महिलाओं के आरोप बेबुनियाद

मुझे पीड़ित महिलाओं से संबंधित शिकायत मिलने पर मैं अपने साइट पर गया। वहां कार्य स्थल पर अन्य कर्मचारी भी कार्यरत थे। मैंने उन कर्मचारियों से चर्चा की तो ज्ञात हुआ कि ऐसी कोई वारदात घटित नहीं हुई है। सुपरवाइजर ने महिलाओं के साथ कोई बातचीत नहीं की। पीड़ित महिलाओं को अपने बच्चे व परिजनों को उनके स्थान पर नौकरी पर लगवाना है, इसलिए उन्होंने सुपरवाइजर के खिलाफ झूठी शिकायत दी है। अन्य कर्मचारियों के जानकारी के आधार पर इन महिलाओं की शिकायत बेबुनियाद साबित होती है। हमारे यहां विशाखा गाइडलाइन के अनुसार महिला सुरक्षा समिति नहीं है, लेकिन CSTPS में इस तरह की समिति है। मैंने मेरा बयान पुलिस थाने में दर्ज कराया है। पुलिस इस मामले की जांच कर रही है।
-विजय गीते, संचालक व ठेकेदार, विजय इंटरप्राइजेस, चंद्रपुर