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नाम
महाकाली यात्रा का, फोकस व खर्च PM मोदी के प्रचार और सागौन शोभायात्रा पर
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बेरोजगारी,
महंगाई, अतिवृष्टि, भ्रष्ट बागीचे आदि मुद्दे हाशिये पर
@चंद्रपुर
जनता की मेहनत और टैक्स के पैसों का
सदुपयोग कब, कहां व कैसे करना है, यह सरकारों पर निर्भर होता है। महाराष्ट्र सरकार
के पर्यटन व सांस्कृतिक कार्य विभाग मंत्रालय के उपसचिव विलास थोरात ने आननफानन
में 27 मार्च 2023 को एक जीआर जारी कर चंद्रपुर जिले में 29 मार्च 2023 को 3
स्थानों पर आयोजन होने वाले कार्यक्रमों में अर्थात एक ही दिन में 3 करोड़ रुपये
खर्च करने के प्रशासकीय मान्यता को मंजूरी दी है।
आश्चर्य की बात है कि महाकाली
यात्रा अवसर पर कैलाश खेर का संगीतमय कार्यक्रम, महासंस्कृति महोत्सव के नाम पर
सरकार ने लुप्त होने वाली लोककला के माध्यम से जनता का मनोरंजन करने का उद्देश्य
बताया है। परंतु शहर में लग रहे होर्डिंग्स(अवैध-मनपा के अनुमति के बिना और टैक्स
अदा किये बिना), बैनर्स और मीडिया में आ रही खबरों में किसी भी लुप्त लोककला का
जिक्र तक नहीं है। 3 करोड़ के इन आयोजनों के मद्देनजर चंद्रपुर एवं बल्लारपुर में
जो दृष्य दिखाई पड़ रहा है वह राम मंदिर निर्माण में जा रहे सागौन की शोभायात्रा और
प्रधानमंत्री मोदी का प्रचार नजर आ रहा है। महाकाली यात्रा व लुप्त लोककला के नाम
पर कुछ अलग ही आयोजन की बू आ रही है। नाम महाकाली यात्रा का और सरकार व प्रशासन का
फोकस - खर्च PM मोदी के प्रचार और सागौन शोभायात्रा पर दिखाई पड़ रहा है। जिले की बेरोजगारी,
महंगाई, बीते दिनों हुई अतिवृष्टि, भ्रष्ट बागीचे के चलते घायल हुई बालिका मामले
की जांच आदि सभी अहम मुद्दे हाशिये पर चले जाने का प्रतीत हो रहा है।
बिना टेंडर के अचानक 3 करोड़ खर्च
होंगे
राज्य सरकार की अचानक नींद खुली और आननफानन
में 27 मार्च 2023 को जीआर जारी कर महज 2 दिनों में 3 करोड़ रुपये खर्च करने का
आदेश जारी कर दिया। जबकि इतनी बड़ी राशि खर्च करने के लिए तय नियमों के अनुसार
टेंडर व आदि तमाम तरह की प्रक्रियाओं को पूर्ण करना अनिवार्य हैं। लेकिन चंद्रपुर
जिला प्रशासन के मुखिया व जिलाधिकारी महज एक ही दिन में 3 करोड़ की निधि किस तरह से
खर्च कर पाएंगे, यह देखना बेहद दिलचस्प होगा।
क्या सरकार के उद्देश्य के अनुसार
खर्च होगी निधि
महाराष्ट्र सरकार के पर्यटन व सांस्कृतिक
कार्य विभाग ने 27 मार्च 2023 को जो आदेश पत्र जारी किया है, उसकी प्रस्तावना में
साफ तौर पर लिखा है कि विविध लोककलाओं के माध्यम से नागरिकों का मनोरंजन कर नई
पीढ़ी को लुप्त हो रही लोककलाओं की जानकारी दीी जाएगी। इन लुप्त लोककलाओं के जतन व
संवर्धन के लिए चंद्रपुर जिले के 3 स्थानों पर विविध कार्यक्रम लेने के लिए
प्रशासकीय मान्यता दी जा रही है। इसमें चंद्रपुर में महाकाली यात्रा के अवसर पर
कैलाश खेर का संगीतमय कार्यक्रम 1 करोड़ की निधि से होगा। वहीं चंद्रपुर में महासंस्कृति
महोत्सव के लिए 1 करोड़ की निधि खर्च होगी। इसके अलावा बल्लारपुर में महासंस्कृति
महोत्सव के लिए 1 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
कौनसी लुप्त लोककला दिखाएंगे कैलाश
खेर और महासंस्कृति महोत्सव ?
राज्य सरकार के उपसचिव विलास थोरात
द्वारा जारी किये गये जीआर में चंद्रपुर जिलाधिकारी को इस 3 करोड़ की निधि को खर्च
करने की मंजूरी दी गई है। परंतु अहम सवाल यह उठता है कि महज एक ही दिन में अर्थात
29 मार्च 2023 को महाकाली यात्रा में कैलाश खेर अपने संगीतमय कार्यक्रम में कौनसी
लुप्त लोककला को पेश करेंगे ? और चंद्रपुर तथा बल्लारपुर में होने वाले महासंस्कृति
महोत्सव में जिले अथवा राज्य के कौनसे लुप्त लोककला का प्रदर्शन किया जाएगा ? इस
सवाल का जवाब न तो प्रशासन की ओर से जारी किया गया है और न ही राज्य सरकार की ओर
से बताया गया है। जिले के चंद कलाकारों को तो इस आयोजन के लोककला पर न्यौता तक
नहीं है। लेकिन जिले के पालकमंत्री सुधीर मुनगंटीवार की ओर से सर्वत्र प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी एवं सागौन की शोभायात्रा पर प्रचार जमकर दिखाई पड़ रहा हैं।
विपक्ष की चुप्पी ही अब लोककला ?
राज्य सरकार की ओर से जनता के टैक्स की
निधि को उद्देश्य के अनुसार खर्च नहीं किये जाने पर विपक्ष की जिम्मेदारी होती हैं
कि वे सरकार की नीतियों एवं फैसलों के खिलाफ सवाल उठाएं। परंतु धर्म एवं राजनीति
के मिश्रण से चल रही सत्ता पर विपक्ष सवाल खड़े करने से डरता है। क्योंकि वोट की
फसल कटाई में वे हर समझौता करने के लिए तैयार हैं। इसलिए इस मसले पर कांग्रेस के
सांसद बालू धानोरकर, कांग्रेस के विधायक विजय वडेट्टीवार, विधायक सुभाष धोटे व
विधायक प्रतीभा धानोरकर महोत्सव के उद्देश्य व खर्च को लेकर चुप्पी साधे बैठे हैं।
वहीं जिले की बेरोजगारी, महंगाई, बीते दिनों हुई अतिवृष्टि, भ्रष्ट बागीचे के चलते
घायल हुई बालिका मामले की जांच आदि सभी अहम मुद्दे हाशिये पर चले गये हैं।