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“पानी चोर धारीवाल” आंदोलन मामले में सांसद धानोरकर पुन: फिसड्‌डी !

न आंदोलन हुआ और न किसानों को मिला मुआवजा

संसद में ग्रेस का प्रकरण उठाया, लेकिन धारीवाल को भूल गये

लॉयड मेटल विस्तारीकरण पर साध ली थी चुप्पी

@चंद्रपुर
कांग्रेस सांसद बालू धानोरकर की ओर से पूरजोर ढंग से स्थानीय स्तर पर उठाया गया मुद्दा अब फिसड्‌डी साबित हो रहा है। इरई नदी का पानी चोरी करने वाले धारीवाल इंफ्रा लि. नामक कंपनी पर वे अचानक क्यों व कैसे मेहरबान हो गये, यह जिले की जनता के लिए चिंतन व चर्चा का विषय बन गया है। क्योंकि दिसंबर माह के शुरुआत में 28 किसानों की फसलों को क्षति पहुंचने व पानी चोरी को लेकर सांसद धानोरकर ने 6 दिसंबर 2022 को धारीवाल उद्योग बंद करने की चेतावनी दी थी। लेकिन उसके बाद अचानक ऐन समय पर यू-टर्न लेकर केवल घटना स्थल दौरा किया। देर शाम को प्रेसनोट जारी कर जिलाधिकारी के कहने पर आंदोलन 21 दिसंबर 2022 तक स्थगित करने की सूचना दी। पश्चात 21 दिसंबर को भी कोई आंदोलन नहीं किया गया और एक पुन: प्रेसनोट 28 किसानों को मुआवजा दिलाने की घोषणा कर दी। 62 लाख का मुआवजा दिलाने की यह घोषणा हवा में गुम होने सनसनीखेज जानकारी उजागर हुई है। वहीं संसद में धारीवाल का मुद्दा न उठाते हुए अचानक ग्रेस के विस्तारीकरण का विरोध किये जाने और लॉयड मेटल कंपनी के विस्तारीकरण के दौरान चुप्पी साधे बैठे रहने के चलते सांसद बाळू धानोरकर की नीति व नियत पर अनेक सवाल उठने लगे हैं।

आंदोलन को बदलकर मुआयना दौरा

सांसद बाळू धानोरकर ने धारीवाल कंपनी के चलते 28 किसानों का नुकसान और इरई नदी से पानी चोरी किये जाने के मामले को लेकर तमाम अखबारों में खबरें प्रकाशित कराकर 6 दिसंबर 2022 को सुबह 10 बजे धारीवाल उद्योग बंद की चेतावनी दी थी। लेकिन जब एक दिन पूर्व अर्थात 5 दिसंबर 2022 को सांसद दौरे की समयसारिणी उनके कार्यालय से घोषित की गई तो उसमें आंदोलन का जिक्र तक नहीं था। धारीवाल का मुआयना करने का उल्लेख होने से परिसर के किसानों में संदेह निर्माण हुआ।

6 दिसंबर को आंदोलन हुआ ही नहीं

6 दिसंबर 2022 की सुबह सांसद बाळू धानोरकर ने अपने समर्थकों एवं राजस्व विभाग के अधिकारियों के साथ धारीवाल प्लांट व इरई नदी स्थल का दौरा किया। पश्चात शाम के समय जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचकर उन्होंने यहां के अधिकारियों से चर्चा की। इसके बाद सांसद धानोरकर कार्यालय की ओर से एक प्रेसनोट जारी किया गया, इसमें उन्होंने जिलाधिकारी के अनुरोध पर धारीवाल उद्योग बंद आंदोलन 21 दिसंबर तक स्थगित करने की घोषणा की।

सांसद के मुआयने के बाद यह मुद्दे उठे

सांसद बाळू धानोरकर ने धारीवाल कंपनी का दौरा कर यहां के इरई नदी का प्रवाह बदलने, पानी चोरी करने, वॉटर स्टोरेज से जल रिसाव होने, किसानों की 300 एकड़ कृषि भूमि दलदल होने का दावा किया था। इसके साथ ही 28 किसानों को 6 वर्षों का मुआवजा देने, धारीवाल कंपनी की पृथक पार्किंग व्यवस्था निर्माण करने के निर्देश दिये थे। जांच समिति के माध्यम से तत्काल जांच करवाकर पीड़ित किसानों को तत्काल मुआवजा दिलाने के जिलाधिकारी के आश्वासन पर सांसद महोदय मान गये।

सांसद धानोरकर का “दणका” गायब !

गत 21 दिसंबर 2022 को सांसद बाळू धानोरकर के कार्यालय की ओर से जारी किये गये प्रेसनोट में उन्होंने जानकारी दी कि “खासदार बाळू धानोरकर यांच्या दणक्याने शेतकऱ्यांना मिळणार न्याय”। लेकिन बीते 22 दिनों में ऐसा कुछ नहीं हो पाया। सांसद महोदय का न तो दणके का असर दिखा और न ही पीड़ित किसानों को फूटी कौड़ी तक मिल पायी। इस संदर्भ में दैनिक सकाळ अखबार ने 11 जनवरी 2023 को इस विषय पर एक विशेष खबर प्रकाशित कर राजनीति और प्रशासनीक खामियों की पोल खोल दी। 

धारीवाल कंपनी में गंभीर अनियमितताएं – जांच समिति का दावा

सांसद धानोरकर की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार जिला प्रशासन की ओर से नियुक्त की गई जांच समिति की रिपोर्ट में धारीवाल कंपनी में गंभीर अनियमितताएं होने का दावा किया गया है। प्रदूषण व रोजगार का मूल्यांकण किया गया। 4 अधिकारियों ने जांच की और जिला प्रशासन को रिपोर्ट पेश कर दी। रिपोर्ट में धारीवाल कंपनी की ओर से अवैध ढंग से नदी के तट में 4 बड़े पंप बिठाकर गैरकानूनी रूप से पानी चोरी करने की बात कही गई है। धारीवाल कंपनी के वॉटर टैंक के पास जल रिसाव होने से 28 किसानों का काफी नुकसान होने की जानकारी उजागर की गई। 

ग्रेस से द्वेष और लॉयड से लाड ?

गत 19 दिसंबर 2022 को सांसद बाळू धानोरकर ने संसद में चंद्रपुर जिले के प्रदूषण का मामला उठाते हुए चंद्रपुर शहर को महाराष्ट्र में प्रथम और देश में दूसरे क्रमांक का सबसे प्रदूषित शहर बताया। इसलिए ग्रेस स्टिल प्लांट के विस्तारीकरण को अनुमति न देने की गुहार सदन में लगाई। लेकिन इस दौरान व धारीवाल कंपनी के प्रदूषण का मामला सदन में उठाना भूल गये। और तो और बीते 2 वर्षों से जारी लॉयड मेटल कंपनी के विस्तारीकरण को लेकर उन्होंने कभी भी सार्वजनिक तौर पर विरोध नहीं दर्शाया। अचानक ग्रेस का विरोध और लॉयड कंपनी पर चुप्पी साध लेना, उनकी कार्यप्रणाली को दर्शा गया। ताजा मामला धारीवाल के प्रदूषण और अनियमितताओं का होने के बावजूद संसद में धारीवाल कंपनी के खिलाफ एक शब्द भी नहीं कहा जाना सांसद धानोरकर की साख पर सवाल उठाने के लिए बाध्य कर रहा है।