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धानोरकर : पत्नी झूठी या पति झूठे ? जनता कैसे तय करें “राजनीतिक सच” ?

1 मिनट 40 सेकंद के वीडियो से खुल जाएगी झूठेबाज की पोल

प्रतिभा धानोरकर, बालू धानोरकर व अनिल धानोरकर में से झूठा कौन ? जानने के लिए पढ़िये पूरी खबर

@चंद्रपुर
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं महाराष्ट्र के एकमात्र कांग्रेसी सांसद बालू धानोरकर, वरोरा-भद्रावती की विधायक प्रतिभा धानोरकर एवं भद्रावती नप के नगराध्यक्ष अनिल धानोरकर के वीडियो का बारीकी से अध्ययन करने पर झूठ का पुलिंदा उजागर हुआ है। पति बालू धानोरकर, पत्नी प्रतिभा धानोरकर व भाई अनिल धानोरकर में से कौनसा नेता झूठा बोल रहा है, इस पर जनता को गंभीरता से सोचना होगा। समाज के लिए जिन नेताओं को आदर्श मानकर जनता वोट देती है, चुनावों में जीताकर लाती है, अपने पलकों पर बिठाती है, सीर पर बिठाकर नचाती है, उसी जनता को अब सच्चे-झूठे में फर्क करना होगा। क्योंकि लोकसभा की कांग्रेस की टिकट दिलाने में विधानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष व राकांपा के वरिष्ठ नेता एड. मोरेश्वर टेमुर्डे के योगदान को लेकर उल्टे-सीधे बयानों को जारी कर उनके चरित्र को बदनाम करने की कोशिश की गई थी। परंतु 22 जनवरी 2023 को उनके निधन के बाद सामने आये वीडियो ने झूठेबाज राजनेताओं की पोल खोलकर रख दी। तो आइये, पढ़ते हैं और समझते हैं इस पूरे झूठ व फरेब के पुलिंदे को.


कौनसे नेता ने कब-कब, क्या कहा ?

एड. मोरेश्वर टेमुर्डे –

जिले के बुजुर्ग व वरिष्ठ नेता तथा महाराष्ट्र विधान सभा के पूर्व उपाध्यक्ष और जिनका 22 जनवरी 2023 को निधन हो गया, वे अपनी मौत से ठीक 3 माह पूर्व अर्थात 21 नवंबर 2022 को कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को एक सनसनीखेज पत्र भेजते हैं। इस पत्र में वे सीधे तौर पर चंद्रपुर-वणी-आर्णी के कांग्रेस सांसद बालू उर्फ सुरेश धानोरकर पर अनेक गंभीर आरोप लगाते हैं। अगले लोकसभा चुनाव के लिए नया उम्मीदवार देने का अनुरोध करते हैं। साथ ही एड. टेमुर्डे इस पत्र में कहते हैं कि सांसद धानोरकर अवैध गतिविधियों में लिप्त हैं। वे भारी कमीशन पाने के लिए संबंधितों पर दबाव बनाते हैं। इसके चलते वे अहंकारी हो गए हैं। जनता के प्रति वे सद्भावना खो चुके हैं। इसलिए वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में चंद्रपुर जिले में दूसरा उम्मीदवार चयन करने का वे अनुरोध करते हैं। टेमुर्डे के इस पत्र ने राजनीति में भूचाल ला दिया था। 

सांसद बालू धानोरकर –

29 नवंबर 2022 को कांग्रेस सांसद बालू धानोकर, एड. मोरेश्वर टेमुर्डे के राहुल गांधी को भेजे गये पत्र और उन पर लगे गंभीर आरोपों का खंडन करते हैं। TV-9 एवं ABP-माझा को दिये एक खास इंटरव्यू में बालू धानोरकर स्पष्ट रूप से दावा करते हैं कि –“बालू धानोरकर को लोकसभा का टिकट दिलाने में मोरेश्वर टेमुर्डे का रत्ती भर का भी योगदान नहीं !”
ABP-माझा के प्रतिनिधि सारंग पांडे को दिये इंटरव्यू में सांसद धानोरकर ने विस्तृत रूप से कहा कि – कहां की कमिशनखोरी, कौनसे अवैध धंधे, इसका उल्लेख मोरेश्वर टेमुर्डे ने करना चाहिये था। वे विधानसभा के उपाध्यक्ष थे, दो दफा उन्होंने वरोरा विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था। आज उनकी तबीयत देखने से ज्ञात होता है कि वे बीमार हैं। उनके साथ उनकी पत्नी व बच्चे भी नहीं रहते। मतलब अपना घर परिवार संभालना उनके लिए कठिन है। और जिले में जो भी चुनाव होते हैं, उन चुनावों के भरोसे पर उनका घर चलता है, यह हालात है। यही उनकी कार्यप्रणाली है। जो भी स्कूल-कॉलेज उनके हैं, उनमें पढ़ने व पढ़ाने वाले छात्र-शिक्षकों का उन्होंने नुकसान किया है। प्राध्यापकों को बिना वेतनधारी बनाकर रख दिया है। यह हमारे देखा है। कइयों को तो उन्होंने संस्था में से हटाया है। उनकी संस्था को अनुदान नहीं आया और वहां काम करने वालों का भविष्य बर्बाद हो गया है। इसलिए टेमुर्डे के आरोपों को हम डस्टबिन में भी जगह नहीं देते। समूची जनता को पता है कि मैं जनता दरबार ले रहा हूं, जिवती-पोभूर्णा-मूल आदि इलाकों के दौरे शुरू है। उन्हें क्या इससे लेना-देना है ? यह हमारे पक्ष का अंतर्गत मामला है। मेरा काम कैसा है, यह मेरे पक्ष के वरिष्ठों को पता है। और टेमुर्डे कितने बेहूदा है, उनका काम क्या है ? जिन्होंने पैसा दिया, मनसे ने पैसा दिया, उनकी टोपी व दुपट्‌टा पहनते हैं, यह मैं दिखा सकता हूं। चुनाव में जो उम्मीदवार पैसे देगा, उसके पीछे मोरेश्वर टेमुर्डे खडे रहेंगे, यह भूमिका उनकी जिले में है। उनके पीछे कोई मतदाता नहीं है। उनके पुत्र ने बीते विधानसभा चुनाव में 4 हजार 700 वोट लिये। खुद के पुत्र का करियर नहीं बना पाये। और उनका खुद का राजनीतिक अस्तित्व समाप्त हो चुका है। बालू धानोरकर को टिकट देने में मोरेश्वर टेमुर्डे का रत्ती भर का योगदान नहीं है। उसमें महत्वपूर्ण रोल जिन्होंने अदा किया है वे हैं राजेंद्र वैद्य और उनकी टीम ने। रमेश माखिजा, पिदुरकर, सुदर्शन निमकर उक्त सभी लोग प्रयासरत थे। मोरेश्वर टेमुर्डे के प्रयास से टिकट नहीं मिली। उनकी गिनती कहीं भी नहीं है। राजनीतिक अस्तित्व खो चुके इंसान हैं वे।   

विधायक प्रतिभा धानोरकर –

भद्रावती-वरोरा विधानसभा क्षेत्र की कांग्रेस विधायक व सांसद बालू धानोरकर की पत्नी प्रतिभा धानोरकर ने अपने पति के बयान के ठीक विपरीत बयान देकर उन्हें झूठा साबित कर दिया है। 22 जनवरी 2023 को एड. मोरेश्वर टेमुर्डे का निधन हो गया। गत 23 जनवरी 2023 की देर शाम वरोरा के गांधी चौक में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में विधायक प्रतिभा धानोरकर ने अपने भाषण में दावा किया है कि – एड. मोरेश्वर टेमुर्डे यह चंद्रपुर जिले के दूसरे शरद पवार थे। लोकसभा चुनाव के दौरान जो गतिविधियां हुई, उस समय दो बार टिकट कट गया था। तिसरी बार जब टिकट मिलने का मौका आया तब राजेंद्र भाऊ, पूर्व विधायक सुदर्शन निमकर, टेमुर्डे साहब ने आग्रह किया, निश्चय किया और वे स्वयं पुणे गये तथा वहां जाकर शरद पवार साहब को बिनती की कि कांग्रेस यदि बालू धानोरकर को लोकसभा की टिकट नहीं देगी तो हम लोकसभा टिकट राष्ट्रवादी कांग्रेस के कोटे से देंगे और उन्हें चुनाव लड़वायेंगे। इसलिए लोकसभा की टिकट धानोरकर को दिलाने के लिए वे आग्रही थे और प्रयासरत भी थे। साथ ही लोकसभा चुनावों के दौरान वे यकीनन हमारे पीछे बड़ी हिम्मत के साथ खड़े थे। इसलिए महाराष्ट्र के एकमात्र कांग्रेसी सांसद के तौर पर बालू धानोरकर चुने गये। इस सफलता में एड. मोरेश्वर टेमुर्डे का काफी बड़ा योगदान रहा है। इसके पश्चात मेरे चुनावों के दौरान टेमुर्डे साहब का थोड़ा विरोध था। वे बड़ी शक्ति पूर्ण ढंग से राजुरकर साहब के साथ रहे। अत: यह उनका निजी मामला था कि वे किसके साथ रहे और किसके साथ न रहे। लेकिन उसके बाद मैं विधायक होने के पश्चात जब मुझे पहली बार 26 जनवरी को ध्वजारोहन करने का मौका मिला तो मैं आयी और मेरी भेंट टेमुर्डे साहब से हुई, मैंने उनका आशीर्वाद लिया।

नगराध्यक्ष अनिल धानोरकर -

भद्रावती नप के नगराध्यक्ष अनिल धानोरकर ने 25 जनवरी 2023 की देर शाम भद्रावती के डॉ. अंबेडकर चौक में आयोजित श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते जो दावा, जो बयान सार्वजनिक तौर पर दिया, वह सांसद बालू धानोरकर के दावों व बयानों से एकदम विपरीत है। अनिल धानोरकर ने दावा किया कि – महाराष्ट्र विस के पूर्व उपाध्यक्ष एड. मोरेश्वर टेमुर्डे इनके श्रद्धांजलि कार्यक्रम के अध्यक्ष चंद्रकांत गुंडावार, जयंत भाऊ, अमन भाऊ, उपस्थित भद्रावती के सभी दलों के पदाधिकारी, टेमुर्डे साहब के सभी समर्थक व उनको मानने वाले सभी का मैं स्वागत करता हूं। 22 जनवरी को जब टेमुर्डे साहब के निधन की दु:खद जानकारी मिली, तब वाकई में दु:ख हुआ कि राजनीतिक क्षेत्र में जिनका काफी वजन रहा हैं, सभी राजनीतिक दलों में जिन्हें मिलनसार होने के चलते करीबी मानते थे, वे अब नहीं रहे। उनके जाने से एक खालीपन निर्माण हुआ है, जो कभी पूर्ण नहीं हो सकता। भद्रावती वासियों को टेमुर्डे साहब ने बहुत कुछ दिया है। भद्रावती में शिक्षा की सुविधा नहीं थी। उन्होंने देखा कि 12वीं के बाद यहां के बच्चों को वरोरा-चंद्रपुर अथवा बाहरी शहरों में जाना पड़ रहा है। इसलिए उन्होंने यहां विवेकानंद कॉलेज की स्थापना करायी। इससे हजारों बच्चों का भविष्य उज्जवल हुआ है। टेमुर्डे साहब ने शेतकरी संगठन के माध्यम से गरीब व किसानों को न्याय दिलाने के लिए अनेक आंदोलन किये। किसानों को समर्थन मूल्य दिलाने का प्रयास किया। ऐसे अनेक काम उन्होंने किये। धानोरकर परिवार को भी टेमुर्डे साहब ने काफी सहकार्य किया है। जिस समय सांसद धानोरकर के चुनाव के दौरान जब टिकट की समस्या निर्माण हुई, तब शरद पवार साहब के पास स्वयं टेमुर्डे साहब गये थे। और उन्होंने टिकट दिलाने के लिए भी अनेक प्रयास किये। साथ ही उन्हें चुनाव जीताकर लाने के लिए भी काफी बड़े पैमाने पर वे संपूर्ण लोकसभा क्षेत्र में घूम-घूमकर उन्हें जीताने हेतु प्रयास किया।

अब झूठे नेता को पहचानना होगा !

उपरोक्त तीनों बयानों को गंभीरता से अध्ययन करने और इन नेताओं के वीडियो को बारीकी से देखने के बाद यह पता चलता है कि कोई न कोई नेता स्पष्ट रूप से झूठ बोल रहा है। अब ऐसे में जनता को यह सोचना चाहिये कि वह कौनसा नेता है जो झूठ बोलकर जनता को गुमराह कर रहा है। TV चैनलों या शोक सभाओं में हजारों, लाखों जनता के बीच झूठ बोलने की इतनी हिम्मत कैसे पैदा हो गई ? क्या चंद्रपुर की जनता आदर्श समाज में झूठेबाज नेता और उनके झूठे बयानों को पहचान पाने में गलती कर रही है ?

लोकसभा टिकट पर झूठ तो और क्या क्या झूठ बोले होंगे ?

लोकसभा टिकट मामले को लेकर घटित घटनाक्रम में कौनसे नेता ने कौनसा झूठा बोला है, यह जनता को ही अब तय करना चाहिये। किसी नेता के चरित्रहनन के लिए उनके बारे में झूठा बयान देने के बीज को बो देना, लोकतंत्र में वोट की फसल के लिए नुकसानदायक है। सहयोगी नेताओं को यूज एंड थ्रो करने की इन नेताओं की करतूतों को जनता अब समझने लगी है। अब जब लोकसभा टिकट को लेकर ही झूठ बोला गया होगा तो अन्य और कौन-कौनसे व कितने मामले होंगे, जिस पर इन नेताओं द्वारा झूठ परोसा जा रहा है ? नेताओं के झूठे वादे, झूठे बयान, झूठे आश्वासनों से अब जनता को सचेत रहना होगा।