■ बच्चा-बच्चा कर रहा
सैल्यूट, लेकिन सोहेल रजा शेख की हरकत चिंतनीय
■ कांग्रेस का सेक्यूलर चरित्र
तार-तार होने की कगार पर
■ अल्पसंख्यक सेल क्यों
नहीं मनाता अन्य धर्मों के त्योहार
@चंद्रपुर
कांग्रेस को सेक्यूलर
पार्टी के तौर पर जाना जाता है। हर धर्म, हर वर्ग के लोगों को साथ लेकर चलने की कांग्रेस
की नीति चंद्रपुर में धराशायी होते दिखाई पड़ रही है। क्योंकि कांग्रेस के
अल्पसंख्यक सेल को अन्य धर्मों के त्योहार मनाते कभी देखा नहीं गया। अब तो हालात
यहां तक पहुंच गये कि कल 26 जनवरी 2023 को समूचे देश में हर्षोल्लास के साथ 74वां
गणतंत्र दिवस मनाया गया, लेकिन चंद्रपुर के रामाला तालाब परिसर के अहेमदिया मस्जिद
के सामने हजरत टीपू सुलतान फाउंडेशन की ओर से आयोजित ध्वजारोहन समारोह के दौरान कांग्रेस
अल्पसंख्यक के जिलाध्यक्ष सोहेल रजा शेख ने सलामी नहीं दी। उनके साथ खड़े सभी लोग
और हर बच्चे को सलामी देते हुए देखा गया। परंतु सोहेल शेख की यह हरकत कैमरे में
कैद हो गई और यह तस्वीर वायरल होते ही कांग्रेस के चरित्र पर कट्टरपंथी के बादल
मंडराने लगे है।
…उस खंजर को अब तक जब्त नहीं कर पायी पुलिस, अब नया फसाद
ज्ञात हो कि 5 दिन पहले
सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था, इसमें हजरत टीपू सुलतान फाउंडेशन के
नवनियुक्त एवं कांग्रेस के अल्पसंख्यक सेल के जिलाध्यक्ष सोहेल रजा शेख के बिजनेस
पार्टनर समझे जाने वाले आमीर शेख अपने जन्मदिन के मौके पर दुर्गापुर परिसर के एक
सार्वजनिक कार्यक्रम में खुलेआम खंजर चमकाते हुए केक काटते नजर आये थे। शोएब शेख
नामक एक व्यक्ति ने दावा किया था कि खंजर से केक काटने का वीडियो दो माह पूर्व
अर्थात 19 नवंबर 2022 का है। मतलब यह साफ है कि बीते दो माह से पुलिस प्रशासन की ओर
से संबंधितों के खिलाफ आर्मस एक्ट के तहत कोई कार्रवाई नहीं की जा सकीं। और तो और
इस खंजर को जब्त करने की दिशा में पुलिस प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाये
जा सकें। यही खंजरबाज युवक सीधे कांग्रेस सांसद बालू धानोरकर की कड़ी सुरक्षा में
सेंध लगाते हुए उनके बेहद करीब जा पहुंचा और उन्हें केक खिलाकर आ गया। सवाल यह
उठता है कि सांसद महोदय की सुरक्षा के साथ इतना बड़ा खिलवाड़ क्यों किया जा रहा है ?
इन सवालों के बीच अब राष्ट्रध्वज को सलामी न देने का मामला उजागर हुआ है।
गणतंत्र दिवस पर
राष्ट्रध्वज को सलामी देने से परहेज क्यों ?
कल गुरुवार, 26 जनवरी
2023 की सुबह 74वें गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में हजरत टीपू सुलतान फाउंडेशन की ओर
से रामाला तालाब स्थित अहेमदिया मस्जिद के सामने ध्वजारोहन कार्यक्रम आयोजित किया
गया था। इस कार्यक्रम में भारतीय राष्ट्रध्वज को सभी ने सलामी दी और राष्ट्रगीत गाया
गया। लेकिन इस दौरान खींची गई तस्वीर से यह साफ जाहिर होता है कि कांग्रेस के
अल्पसंख्यक सेल के जिलाध्यक्ष और सांसद बालू धानोरकर के बेहद करीबी समझे जाने वाले
सोहेल रजा शेख ने राष्ट्रध्वज को सलामी नहीं दी। उनकी यह हरकत कांग्रेस और सेक्यूलर
समाज के लिए चिंता का विषय बन गया है। उन्हें राष्ट्रध्वज को सलामी देने से परहेज
क्यों है ? यह सवाल अब पूछा जाने लगा है। कहीं कट्टरपंथ कांग्रेस के अल्पसंख्यक
सेल पर हावी तो नहीं हो गया, यह सवाल जनता के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।
कौन-कौन थे मौजूद,
क्या-क्या हुआ ?
ध्वजारोहन कार्यक्रम का
आयोजन हजरत टीपू सुलतान फाउंडेशन के अध्यक्ष आमीर शेख, कार्यकारी अध्यक्ष सय्यद फ़राज़
के नेतृत्व में किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता कांग्रेस अल्पसंख्यक सेल के
जिलाध्यक्ष सोहेल रजा शेख ने की। इस दौरान मुख्य अतिथि के रूप में जनाब शब्बिर रज़ा
साहब, वासनिक सर, कांग्रेस अल्पसंख्यक सेल के शहराध्यक्ष ताजुद्दीन शेख आदि
मौजूद थे। मान्यवरों ने अपने संबोधन में देश के शहीद जवानों को याद करते हुए उन्हें
श्रद्धांजलि अर्पित की और उपस्थितों को मार्गदर्शन किया। इस कार्यक्रम की सफलता के
लिए पायरु भाई, भाई आज़ाद, अरबाज़ शेख़, अमान शेख़, ज़ुबेर आज़ाद, आतिफ़ राजा, शोएब
शेख़, जनाब अब्दुल जावेद, इमरान खान, अब्दुल फ़ारूख, शरीक शेख़, अब्दुल फ़ारीद, शाकिल
शेख़, रेहान सय्यद, वाहिद शेख़, दानिश शेख़, अब्दुल नवेद, यूनुस कुरेशी, जावेद भाई
आदि का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
क्या कट्टरपंथ की ओर
बढ़ रहा कांग्रेस का अल्पसंख्यक सेल ?
बरसों से कांग्रेस के
अल्पसंख्यक सेल को सभी धर्मों का त्योहार मनाते हुए देखा गया था, लेकिन बीते कुछ
वर्षों में यह सेल अब सिलेक्टिव त्योहारों पर फोकस करता नजर आ रहा है। गत दिनों
ख्रिसमस त्योहार पर इस सेल की ओर से कोई खास आयोजन नहीं किया गया। इस संदर्भ में
कांग्रेस के युवा नेता पिंटू शिरवार से तहकीकात की गई तो उन्होंने भी इस तथ्य को
मान्य किया। जबकि अल्पसंख्यक की सूची अनेक धर्मों को शामिल किया गया है, परंतु एक
धर्म विशेष पर फोकस कर अन्य धर्मों के आयोजनों को दरकिनार कर देने की इस नई परंपरा
को कट्टरपंथ की ओर बढ़ रहे कदम के तौर पर देखा जा रहा है। इसके चलते कांग्रेस के
अल्पसंख्यक सेल की नीतियों पर अनेक सवाल उठने लगे है। साथ ही साथ कांग्रेस का
सेक्यूलर दामन दागदार होने की कगार पर है। इस विषय पर कांग्रेस के आलाकमान नेताओं
को गंभीरता से सोचना होगा।