■ एक मामूली ऑटो चालक का
बेटा जिलाध्यक्ष बनते ही किसने किया षड्यंत्र ?
■ हाजी इमरान, रमीज शेख,
नौशाद शेख के बाद शफाक की बलि लेने वाला “वह” नेता कौन ?
■ मुस्लिम नेतृत्व को दरी
उठाने व बिरयानी परोसने तक सीमित रखने की किसकी है साजिश ?
कब तक सेक्युलर का फर्जी चोला ओढ़कर मुस्लिम नेतृत्व का खच्चीकरण किया जाएगा, यह सवाल कांग्रेस में बरसों से सेवा करने वाले सच्चे व मुस्लिम युवाओं की ओर से पूछा जाने लगा है। वजह भी तो वाजिब है। क्योंकि कांग्रेस के NSUI के राष्ट्रीय महासचिव व महाराष्ट्र के प्रभारी नागेश करियप्पा ने 19 अक्तूबर 2022 को एक पत्र जारी कर चंद्रपुर के पडोली निवासी व एक मामूली ऑटो चालक के पुत्र शफाक शेख को NSUI का जिलाध्यक्ष बनाने नियुक्ति पत्र सौंपा था। चर्चा है कि इसके बाद चंद्रपुर से मुस्लिम विरोधी षड़यंत्र की सुई दिल्ली तक चूभो दी गई। इसके चलते राजनीतिक दबाव में आकर करियप्पा महोदय को महज 2 दिनों में ही अपना फैसला बदलने के लिए मजबूर किया गया। इसके बाद इन्हीं करियप्पा महोदय ने 21 अक्तूबर 2022 को एक पत्र जारी कर शफाक शेख की नियुक्ति रद्द करते हुए यश दत्तात्रेय को NSUI का दोबारा जिलाध्यक्ष बना दिया। इसके चलते चंद्रपुर के कांग्रेस, यूथ कांग्रेस, NSUI में सक्रिय मुस्लिम युवाओं में घोर निराशा के साथ-साथ कांग्रेस के भितर के संघी विचारधारा की आलोचना होने लगी है।
आवभगत करने, दरी उठाने, नारे लगाने, बिरयानी परोसने तक सीमित !
कांग्रेस ने समय-समय पर खुद को मुस्लिमों के रहनुमा और सेक्युलर विचारधारा वाली राजनीतिक पार्टी के रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश की है। लेकिन चंद्रपुर में कांग्रेस के मनसूबे अब पर्दाफाश होने लगे हैं। चंद्रपुर कांग्रेस और शिर्ष नेताओं का मुस्लिम विरोधी चेहरा अब तो खुलकर सामने आने लगा है। केवल आवभगत करने, दरी उठाने, नारे लगाने, बिरयानी परोसने तक सीमित कर चुके मुस्लिम नेतृत्व के भितर विरोध के स्वर कोलाहल मचाने लगे हैं। क्योंकि जब-जब मुस्लिम युवाओं को किसी बड़े पद पर नियुक्ति मिलने की राह आसान होती है, तब-तब कांग्रेस के भितर के मुस्लिम विरोधी मनुवादी ताकतें ज्यादा सक्रिय होकर पदों को छिनने के लिए आमादा हो जाती है, यह आरोप अब कांग्रेस के कार्यकर्ता अपनी चर्चाओं में खुलकर बयां करने लगे हैं।
क्या नेताओं के पुत्र-पुत्रियां ही नेता बनेंगे ?
बीते अनेक वर्षों से
चंद्रपुर जिले में देखा जा रहा है कि नेताओं के पुत्र-पुत्रियां, भाई, रिश्तेदारों
का ही राजनीति में बोल-बाला है। धन व बल के आधार पर राजनीतिक रसूख का गलत इस्तेमाल
करते हुए केवल अपने ही रिश्तेदारों को राजनीतिक पदों की खैरात बांटी जा रही है।
अनेक महत्वपूर्ण पदों पर नेताओं के ही पुत्रों को विराजमान करने की नीति के चलते
आम कार्यकर्ताओं में निराशा का माहौल बना हुआ है। एक दफा तो कांग्रेस के वरिष्ठ
नेता विनायक बांगडे ने सनसनीखेज बयान देते हुए कहा था कि – कांग्रेस की उम्मीदवारी
केवल पैसे वालों को ही दी जाती है।
कैसे किया गेम हाजी इमरान, रमीज शेख व नौशाद शेख का ?
सूत्र बताते है कि चंद माह पूर्व जब यूथ कांग्रेस के चुनाव के लिए हाजी इमरान, रमीज शेख के अलावा भानेश जंगम ने अध्यक्ष पद के लिए तैयारी की। फॉर्म भी भरा गया था। पश्चात कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता रेस्ट हाउस पहुंचे। उन्होंने इस चुनाव को स्पर्धात्मक बनाने के बजाय एकाधिकारशाही व वर्चस्व की ताकत के बल पर हाजी इमरान, रमीज शेख व भानेश जंगम को अपना आवेदन पीछे लेने लगाया। अपने करीबी राजेश अड्डूर को जीतवाने के लिए राह आसान की। ठीक इसी तर्ज पर वर्ष 2017 में राजेश अड्डूर के प्रतिद्वंद्वी रहे नौशाद शेख अर्थात मुस्लिम नेतृत्व को हराने के लिए कांग्रेस के नेताओं ने ही एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था। इसलिए कांग्रेस में मुस्लिम विरोधी चेहरे समय-समय पर उजागर होते रहे हैं।
कांग्रेस के 17 प्रदेश प्रतिनिधि में कोई मुस्लिम क्यों नहीं ?
19 सितंबर 2022 को दोपहर 2 बजे मुंबई में आयोजित प्रदेश प्रतिनिधि की बैठक में चंद्रपुर जिले से 17 कांग्रेसी शामिल हुए थे। लेकिन इन 17 प्रतिनिधियों में से एक भी प्रतिनिधि मुस्लिम समुदाय का नहीं था। क्या कांग्रेस, अपने मुस्लिम समर्थकों को केवल कांग्रेस का झंडा उठाने के ही काबिल समझते हैं ? जब प्रतिनिधि चुनने की बारी आती है, तब मुस्लिम नामों को शामिल कराने में कांग्रेस नाकाम क्यों हो जाती है ? यह सवाल तमाम समर्थकों और झंडा ढोने वाले मुस्लिमों के बीच सदैव चर्चा का विषय बना रहता है।
चंद्रपुर का मुस्लिम युवा केवल बिरयानी परोसने के काबिल ?
15 सितंबर 2022 को
महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रशासन व संगठन महासचिव प्रमोद मोरे ने एक
पत्र जारी किया। इस पत्र के अनुसार पल्लम राजू की अध्यक्षता में महाराष्ट्र
प्रभारी एच.के. पाटील, प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले, विधि मंडल नेता बालासाहब थोरात
की मौजूदगी में 19 सितंबर 2022 को मुंबई के यशवंतराव चव्हाण प्रतिष्ठान में विशेष
बैठक बुलाई गई थी। इस बैठक में नवनियुक्त प्रदेश प्रतिनिधि शामिल हुए लेकिन
चंद्रपुर जिले में बीते दिनों चयनित किये गये प्रदेश प्रतिनिधियों के नामों में
मुस्लिम युवा नेताओं को जान-बूझकर दरकिनार किया गया। कुल 17 प्रदेश प्रतिनिधियों
में क्या जिले में एक भी मुस्लिम युवा नेता काबिल नहीं समझा गया ? क्या मुस्लिम
युवाओं को केवल कांग्रेस के झंडे उठाने, दरी बिछाने और बिरयानी परोसने के ही काम
के योग्य माना जा रहा है ? इन सवालों पर कांग्रेस के मुस्लिम युवाओं को गंभीर
चिंतन करना होगा।
नये नेतृत्व से कांग्रेस को आखिर परहेज क्यों ?
बीते दिनों घोषित प्रदेश
प्रतिनिधियों की सूची में चंद्रपुर जिले से 17 लोगों के नाम भेजे गए थे। चयनित इन
17 में से एक भी नाम मुस्लिम समुदाय से नहीं था। इस मसले को लेकर कांग्रेस के
कार्यकर्ताओं में आश्चर्य और रोष जताया गया। चयनित 17 प्रदेश प्रतिनिधियों में
चंद्रपुर शहर से एकमात्र नाम था के. के. सिंह का। वहीं जिले से कुल 16 चयनित नामों
में डॉ. रजनी हजारे, विनोद दत्तात्रेय, घनश्याम मुलचंदानी, सुभाष धोटे, विजय
बावने, सुभाष गौर, प्रवीण पडवेकर, सुरेश धानोरकर, प्रतीभा धानोरकर, अविनाश
वारजूरकर, चंद्रशेखर चन्ने, सतीश वारजूरकर, विजय वडेट्टीवार, संतोष सिंह रावत,
संदीप गड्डमवार एवं अरुण धोटे का समावेश था। इसलिए जिले से कोई मुस्लिम युवा नेता
इन प्रदेश प्रतिनिधि के काबिल क्यों नहीं, यह सवाल फिर एक बार पूरजोर ढ़ंग से उठाया
जाने लगा है। क्योंकि इस बार NSUI के नवनियुक्त जिलाध्यक्ष शफाक शेख की कुर्सी महज
2 दिन में छीन ली गई।
बिलकिस बानो के अन्याय पर खामोश, लेकिन ईद पर स्वागत करते दिखी कांग्रेस !
उल्लेखनीय है कि गुजरात के दंगों के समय चर्चित बिलकिस बानो कांड में लंबे संघर्ष के बाद न्यायालय ने 11 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। लेकिन बीते 15 अगस्त 2022 को इन 11 आरोपियों को यह कहकर रिहा किया गया था कि इनका जेल में चाल-चलन अच्छा था। वहीं भाजपा के विधायक ने ब्राम्हण संस्कारी होते हैं, यह कहकर एक नया विवाद छेड़ दिया था। इसके बाद देश में सर्वत्र गुजरात सरकार की आलोचना होने लगी। चंद्रपुर समेत देश के अनेक इलाकों में बिलकिस बानो को न्याय देने के लिए विरोध प्रदर्शन हुए। परंतु चंद्रपुर जिले में सक्रिय कांग्रेस के आला नेता और उनके अल्पसंख्यक सेल के समर्थकों ने गजब की चुप्पी साध ली थी। भाजपा के खिलाफ विरोधी दल के तौर पर कांग्रेस को देखा जाता है, लेकिन यहां कांग्रेस व उनका अल्पसंख्यक सेल महज एक कठपुतली की तरह नजर आया। जबकि गत दिनों में ईद के दौरान इसी कांग्रेस के आला नेता मुस्लिम बंधुओं का स्वागत करते हुए देखे गये। ईद के होर्डिंग्स से पूरे शहर को पाट दिया गया था। यह दोहरा चेहरा व चरित्र मुस्लिम समाज के लिए चिंतन का विषय है।
नियुक्ति इंटरनल बात, इसे डिस्क्लोज नहीं कर सकते
यश दत्तात्रेय यह NSUI
के नवनियुक्त जिलाध्यक्ष हैं। 19 अक्तूबर 2022 को नियुक्त किये गये जिलाध्यक्ष शफाक
शेख की नियुक्ति रद्द कर दी गई है। 2 दिनों में ही यह नियुक्ति हमने क्यों रद्द
की, इसका कारण हम बता नहीं सकते। क्योंकि यह पार्टी का इंटरनल मामला है, इसे हम डिस्क्लाेज
नहीं करेंगे। हमने चर्चाएं की और कुछ गलतफहमियां हुई थी, इसलिए हमने शफाक शेख को
नियुक्त किया था। लेकिन बाद में रद्द कर दिया। हम पर कोई राजनीतिक दबाव नहीं था।
- नागेश करियप्पा, राष्ट्रीय
महासचिव व महाराष्ट्र के प्रभारी, NSUI, कांग्रेस