■ चंद्रपुर की बेईमान पत्रकारिता
फिर एक बार हुई एक्सपोज
■ जुआरी पत्रकार आज भी
उन अखबारों के दरबार के नगीने
■ कार्रवाई में पुलिस ने
जब्त की थी 2.29 लाख की सामग्री
@ चंद्रपुर
अपराध दर्ज होने के
बावजूद अपने जमात अर्थात पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करने वाले पत्रकारों के
अपराध व करतूतों को दबाने के लिए कुप्रसिद्ध चंद्रपुर की गद्दार मीडिया की एक और
करतूत उजागर हुई है। ब्रम्हपुरी निवासी जुए के आरोपी और एक नामी हिंदी राष्ट्रीय
अखबार के तहसील प्रतिनिधि वरिष्ठ पत्रकार तथा एजेंट प्रवीण मेश्राम, देलनवाड़ी
निवासी व मराठी के सबसे बड़े अखबार के अडयाल क्षेत्र के रिपोर्टर व आरोपी अनुप
पानतावणे के अलावा अन्य 4 आरोपियों को पुलिस ने जुआ खेलते हुए रंगेहाथों धर-दबोचा।
2 लाख 29 हजार 825 रुपयों की सामग्री पुलिस ने जब्त की। कुल 6 आरोपियों के खिलाफ
महाराष्ट्र जुगार प्रतिबंधक अधिनियम 1887 की धारा 12 (अ) के तहत अपराध दर्ज किया
गया। परंतु ब्रम्हपुरी एवं चंद्रपुर की मीडिया ने बड़ी ही चालाकी के साथ इस न्यूज
को अखबारों से गायब कर दिया। पाठकों के साथ चंद्रपुर की गद्दार मीडिया सतत बेईमानी
कर रही है। बीते अनेक दिनों से चंद्रपुर की पत्रकारिता का काले कारनामों को उजागर
किये जाने के कारण अधिकांश पत्रकारों की नींद उड़ गई है। षड़यंत्रकारी पत्रकारिता
लगातार एक्सपोज होने लगी है।
कौन-कौन हैं आरोपी ?
फरियादी व पुलिस
उपनिरीक्षक स्वप्नील गेडाम की शिकायत के अनुसार 25 अगस्त 2022 को दोपहर 4 बजकर 51
मिनट के दौरान वे अपने पुलिस टीम के साथ पेट्रोलिंग कर रहे थे। इस दौरान ब्रम्हपुरी
के देलनवाड़ी वार्ड के तालाब किनारे ईमली के पेड़ के नीचे 7 से 8 आरोपियों द्वारा
जुआ खेलने की सूचना मिली। छापामार कार्रवाई के दौरान 6 आरोपियों को रंगेहाथों पकड़ा
गया। इनमें मराठी अखबार के अड्याल के पत्रकार अनुप दिलीप पानतावणे, हिंदी अखबार के
तहसील प्रतिनिधि प्रवीण त्रंब्यकराव मेश्राम, अनंता फकिरा डांगे, शामराव लक्ष्मण
भानारकर, मंगेश दिलीप गेडाम व महेश दिलीप चहांदे का समावेश हैं।
कैसे पकड़े गये जुआरी ?
पुलिस उपनिरीक्षक
स्वप्नील मनोहर गेडाम, पुलिस कर्मचारी मुकेश गजबे, विजय व अजय की टीम पेट्रोलिंग कर
रहे थे। ब्रम्हपुरी के देलनवाड़ी तालाब के किनारे ताश के 52 पत्तों का जुआ खेलने की
गुप्त सूचना मिली। पंच लक्ष्मण पंढरी भानारकर व शेखर वामन मेश्राम की मौजूदगी में पुलिस
ने जाल बिछाकर जुआरियों को धर-दबोचा।
किस-किस आरोपी के पास
से क्या-क्या मिला ?
पुलिस की रिपोर्ट के
अनुसार ताश के 52 पत्तों के दांव में 100 रुपये के 12 नोट पाये गये। इस दौरान जब
आरोपियों की तलाशी ली गई तो पत्रकार अनुप पानतावणे के पास नकद 200 रुपये के 4 नोट
और विवो कंपनी का मोबाइल पाया गया। अनंता डांगे की तलाशी लेने पर 50 रुपये के 4
वोट व एमआई कंपनी का मोबाइल हासिल हुआ। शामराव भारकर की तलाशी में 100 रुपये के 4
नोट व सैमसंग कंपनी का मोबाइल बरामद किया गया। वहीं हिंदी अखबार के तहसील
प्रतिनिधि प्रवीण मेश्राम की तलाशी लेने पर 500 रुपये की एक नोट और 100 रुपये की
एक नोट के अलावा सैमसंग कंपनी का मोबाइल जब्त किया गया। मंगेश गेडाम की तलाशी में
200 रुपये का एक नोट 50 रुपये के 2 नोट व विवो का मोबाइल पाया गया। महेश चहांदे की
तलाशी में 100 रुपये के 3 नोट तथा रेड मी कंपनी का मोबाइल बरामद किया गया।
आरोपी जुआरियों के 5
वाहन जब्त
पुलिस की छापामार
कार्रवाई के दौरान जुआ खेल रहे आरोपियों के पास से नकद, मोबाइल के अलावा उनके
दुपहिया वाहनों को भी जब्त किया गया। पुलिस की रेड में आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई
करते हुए घटना स्थल से कुल 5 दुपहिया वाहन जब्त किये गये। इनमें हीरो होंडा पैशन
शाइन क्रमांक -एमएच-34-एजे-3415, होंडा सीबी शाईन क्रमांक-एमएच-34-बीसी-5120,
हीरो पैशन प्रो क्रमांक-एमएच-34-एएस-9860, होंडा सीबी शाईन क्रमांक-एमएच-34-एजे-6596,
होंडा लिओ क्रमांक-एमएच-34-सीबी-0709 नंबर के वाहनों को घटना स्थल से पुलिस ने
जब्त किया।
पत्रकार बन रहे जुआरी,
जनता को न्याय कैसे देंगे ?
पत्रकारों को समाज सदैव
ही सम्मान के नजर से देखते आयी हैं। लेकिन वर्तमान दौर में पत्रकारों का चरित्र
रसातल में जाने लगा है। यदि पत्रकार जुआ खेलते हुए गिरफ्तार हो जाएं और जिला
मुख्यालय की मीडिया बेईमान बनकर खबरों को दबाने लगे तो आम जनता की पीड़ा को कैसे बयां
किया जा सकेगा। पुलिस ने जुए के इस मामले में आरोपियों के पास से ताश के 52 पत्तों
के अलावा नकद राशि, मोबाइल, वाहन समेत कुल 2 लाख 29 हजार 850 रुपयों की सामग्री जब्त
की। इसके बावजूद ब्रम्हपुरी और चंद्रपुर की मीडिया में कहीं कोई खबर नजर नहीं आयी।
चंद्रपुर की गद्दार
मीडिया ने विश्वसनीयता खोयी !
बीते साल भर में ऐसे
अनेक मामले उजागर हुए हैं जिसमें चंद्रपुर की अधिकांश मीडिया की भूमिका संदेहपूर्ण
रही है। अनेक अनुचित मामलों में लिप्त पाये गये पत्रकारों, पुलिस में दर्ज हो चुके
अपराधों, पीड़ितों के बजाय आरोपियों से की गई साठगांठ, पत्रकार परिषद लेने के
बावजूद खबरों को दबा देना, जनता की गुहार वाली खबरों को गायब कर देना, ऐसे अनेक
प्रकरणों को ‘एक्सपोज बाय लिमेश कुमार’ नामक डिजिटल मीडिया की ओर से उजागर किया
गया। यह प्रयास लगातार जारी है। इसके बावजूद पत्रकारों की काली करतूतें थमने का
नाम नहीं ले रही है।
चंद्रपुर मीडिया की
नींव हिलने लगी
पत्रकारों की सच्चाई
जनता के सामने न आने पाएं इसके लिए चंद डरपोक और षडयंत्रकारी पत्रकारों ने तो अब
कुछ वाटसअप ग्रुप के एडमिन को कॉल कर इन ग्रुप में ऐसी खबरें प्रसारित होने से
रोकने के लिए नया फंडा खोज निकाला है। ग्रुप से रिमूव करने की यह नीति असल में
पत्रकारों की काली करतूतें जनता के सामने न आने पाएं, इसे रोकने का एक भरकस प्रयास
हैं। बावजूद पर्दाफाश वाली यह खबरें जनता के बीच सर्वाधिक पढ़ी जा रही है। सर्वाधिक
वायरल होने वाली इन खबरों से चंद्रपुर के मीडिया की नींव हिलने लगी है।