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महात्मा गांधी के नाम पर : शुरू होते ही बंद करा दिया अभियान !

पूर्व पालकमंत्री वडेट्‌टीवार व कलेक्टर गुल्हाने की योजना फ्लाॅप

समस्यामुक्त गांव अभियान : अब जिला प्रशासन बन गया अनजान

गांधी जयंती पर अहिंसावादी दिखने की कांग्रेसवादियों की नाकाम कोशिशें

@ चंद्रपुर
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम पर दिखावा करने और योजनाएं चलाने वाले अधिकांश लोग उद्घाटनों के बाद उन योजनाओं का क्या हश्र हुआ, इसकी पड़ताल करने की सुध भी नहीं लेते। उल्लेखनीय है कि गत वर्ष 2 अक्तूबर 2021 को गांधी जयंती के उपलक्ष्य में तत्कालीन पालकमंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विजय वडेट्‌टीवार ने जिला प्रशासन के आला अफसरों के माध्यम से सावली तहसील के पालेबारसा में समस्यामुक्त गांव अभियान का शुभारंभ किया। लेकिन इस एक दिन के आयोजन के बाद यह अभियान ठप पड़ गया है। इसके बाद न तो यह अभियान चला और न ही महात्मा गांधी के नाम पर शुरू किए गए इस अभियान का समापन किया गया। बुरी तरह से इस अभियान को फ्लाप कराने वाले कांग्रेसी नेता, पदाधिकारी, कार्यकर्ता व अफसरों को आज अचानक एक वर्ष बाद पुन: एक बार राष्ट्रपिता की याद सताने लगी। पदयात्रा और जयंती शुरू की गई। कल से दोबारा गांधी का मिशन वर्ष भर के लिए दफन करने की नीति को लेकर अब जनता उठाने लगी है।

गांधी जयंती के नाम पर राजनीति चमकाने का प्रयास

गत वर्ष गांधी जयंती पर सावली तहसील के पालेबारसा में पूर्व पालकमंत्री विजय वडेट्‌टीवार व कलेक्टर अजय गुल्हाने तथा एसपी अरविंद सालवे की मौजूदगी में जिले के तमाम पत्रकारों के समक्ष समस्यामुक्त गांव अभियान का शुभारंभ कर खुब तारीफें बटोरी गई। लेकिन जिले के किसी भी पत्रकार ने इस अभियान का बाद के दिनों में क्या हुआ, यह जानने की कोशिश नहीं है। केवल एक दिन के कार्यक्रम को अभियान का नाम देकर अपनी राजनीति चमकाने वाले कांग्रेसियों को महात्मा गांधी के नाम का इस तरह से दुरुपयोग किया जाना, बेहद चौंकाने वाला है। क्योंकि इस अभियान के शुभारंभ के बाद न तो अन्य किसी गांव में समस्यामुक्त गांव अभियान को चलाया गया और न ही इस अभियान का कहीं समापन कार्यक्रम आयोजित किया गया।

वडेट्‌टीवार मानते हैं कि गांवों का विकास नहीं हुआ

बरसों से कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों ने सत्ता के फल भोगे हैं। गत वर्ष गांधी जयंती पर पालेबारसा में भाषण देते हुए विजय वडेट्‌टीवार ने स्वीकार किया कि गांवों का विकास नहीं हो पाया है। महात्मा गांधी के सपनों का भारत साकार नहीं हो पाया है। गांवों के विकास पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। 

अभियान का उद्देश्य क्या था ?

महात्मा गांधी की जयंती के उपलक्ष्य में बीते वर्ष 2 अक्तूबर 2021 को समस्यामुक्त गांव अभियान की शुरुआत की गई। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य था कि गांवों के नागरिकों के द्वार पर प्रशासन पहुंचे और जनता की समस्याओं को प्राप्त कर तत्काल उसका निराकरण करें।

फ्लॉप अभियान में कौन-कौन थे शामिल ?

शुभारंभ होते ही फ्लॉप हो चुकी समस्यामुक्त गांव अभियान के उद्घ्ाटन के दौरान तत्कालीन पूर्व पालकमंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विजय वडेट्‌टीवार के अलावा मंच पर जिलाधिकारी अजय गुल्हाने, जिला पुलिस अधीक्षक अरविंद सालवे, सावली पंचायत समिति सभापति विजय कोरेवार, सीडीसीसी बैंक के संचालक संदीप गड्‌डमवार, रजू सिद्धम आदि उपस्थित थे। साथ ही चंद्रपुर के तमाम बड़े अखबारों के अधिकांश जिला प्रतिनिधि व इलेक्ट्रानिक मीडिया के प्रतिनिधि मौजूद थे। सभी ने गांधी जयंती के इस अभियान को कवर किया। परंतु इसका मूल्यांकन व फॉलोअप करने की कोशिश किसी पत्रकार ने नहीं की।

किये थे बड़े-बड़े वादें

इस अभियान के शुभारंभ के मौके पर कांग्रेस नेता व प्रशासन के आला अफसरों ने बड़े-बड़े वादे जनता से किये। परंतु इन वादों पर बीते एक वर्ष में कहां-कितनी प्रगति की गई, इसका कोई अता-पता नहीं है। गांधी जयंती पर बीते वर्ष सभा को संबोधित करते हुए दावा किया गया था कि परिसर में कार्पेट क्लस्टर के लिए 8.50 करोड़ दिये जायेंगे। अब यह क्लस्टर कहां तक पहुंचा, इसकी खबर मीडिया से गायब है। 

कितनी महिलाओं को रोजगार मिला ?

1200 महिलाओं को रोजगार देने का दावा किय गया था, परंतु अब तक कितनों को रोजगार मिला, यह सवाल पूछने वाला कोई नजर नहीं आता। आगामी 2 वर्ष में 10,000 किसानों को दूध उत्पादक बनाने की घोषणा की गई थी। परंतु 10,000 किसानों में से कितनों को क्या-क्या लाभ दिया गया, इसका हिसाब-किताब देने के लिए प्रशासन तैयार नहीं है। सिंचाई के लिए 106 करोड़ रुपये देने का भी दावा किया गया, किंतु करोड़ों की राशि से कितने एकड़ भूमि को अतिरिक्त सिंचाई का लाभ मिला, इस पर वडेट्‌टीवार ने अब तक कोई अधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। 

साल भर बाद याद आये गांधी ?

समस्यामुक्त गांव अभियान का शुभारंभ करने के बाद इसका समापन न करने, पालेबारसा के अलावा कहीं भी अभियान को न चलाने के चलते फ्लॉप हुई इस योजना को लेकर महात्मा गांधी का नाम व जयंती का उपयोग केवल अपनी राजनीति चमकाने के लिए किए जाने की चर्चा है। साल भर अभियान पर चुप्पी साधे बैठे रहने के बाद अब अचानक जयंती और आजादी के पर्व पर पदयात्राएं निकालकर राष्ट्रपति का महत्व समझाने की कोशिश कांग्रेसी करने लगे हैं। गांधी पर आस्था दिखाने वाले गांधी के नाम पर शुरू की गई योजनाओं को विफलता पर एक शब्द कहने के लिए तैयार नहीं है। जयंती पर लंबे-चौड़े भाषण देकर दोबारा साल भर तक गांधी को भूलने की यह परंपरा कांग्रेस, देश और गांवों के विकास के लिए बाधक है। 

अहिंसावादी कांग्रेसियों की हिंसा भी चर्चा में

चौंकाने वाली बात यह है कि कांग्रेस के हर आला नेता अपने आपको महात्मा गांधी के जयंती के अवसर पर अहिंसावादी दिखाने की कोशिशें करता है। लेकिन जमीनी हकिकत कुछ और ही है। गत वर्ष ही कांग्रेस के चंद्रपुर विधानसभा के उम्मीदवार महेश मेंढ़े को कांग्रेस के ही पदाधिकारी संदीप सिडाम की ओर से पूर्व मंत्री नितीन राउत के एक कार्यक्रम के दौरान पिटाई की गई थी। इसके बाद महेश मेंढे ने इस पिटाई को पूर्व पालकमंत्री विजय वडेट्‌टीवार के इशारे पर अंजाम दिये जाने का गंभीर आरोप लगाया था। वहीं वर्तमान कांग्रेस सांसद बालू धानोरकर, इस बार के गांधी जयंती पर तिरंगा हाथ में लिए अहिंसा का संदेश परसों ही दे चुके हैं। लेकिन गत अप्रैल 2022 में उन पर सहकारी सेवा संस्था के प्रबंधक को धमकाने का आरोप है। इस मामले में सांसद धानोरकर के खिलाफ अपराध भी दर्ज किया जा चुका है। वहीं उनके चुनावी शपथपत्र में 5 अपराध दर्ज होने का उल्लेख है। 

निवासी जिलाधिकारी, तहसीलदार को पता ही नहीं अभियान

जब हमने गत वर्ष शुभारंभ किये गये समस्यामुक्त गांव अभियान की वर्तमान स्थिति व समापन समारंभ की जानकारी पता करने के लिए जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचकर निवासी जिलाधिकारी मनोहर गव्हाल से संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि वे यहां नये हैं। उन्हें इस अभियान की कोई जानकारी नहीं है। वे कलेक्टर अजय गुल्हाने एवं संबंधित विभाग के तहसीलदार से पूछताछ कर हमें जवाब देंगे। लेकिन उनकी ओर से अब तक कोई ठोस जवाब नहीं आ पाया है। इस संदर्भ में जब हमने सामान्य प्रशासन विभाग के तहसीलदार वी. डी. धाईत से बात की तो उन्होंने इस कार्यक्रम को ही राजनीतिक आयोजन बताकर अपना पल्ला झाड़ लिया। इसके पश्चात हमने सावली के तहसीलदार परीक्षित पाटील से बात की तो उन्होंने बताया कि यह अभियान जिला प्रशासन व पूर्व पालकमंत्री की संकल्पना से शुभारंभ किया गया। शुभारंभ के समय आस-पास के 8 गांवों के नागरिकों को बुलाया गया था। इसके बाद इस अभियान का दूसरा कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं किया गया। जिले में कहीं किसी गांव में आयोजन को लेकर उनके पास कोई जानकारी नहीं है।