■ प्रदेश प्रतिनिधि सूची में कोई मुस्लिम नहीं, केवल झंडे उठाने के काबिल ?
■ मुकेश अंबानी के ‘एंटीलिया’ चकाचौंध में क्यों दब गया वक्फ बोर्ड ?
■ बिलकिस के आरोपियों की रिहाई पर चुप्पी साधने के मायने क्या समझे ?
■ गुलाम नबी चले गये, 6 पदों पर छोड़ गए ‘मिर्झा’ से कितना होगा बदलाव ?
@ चंद्रपुर
जनाब डॉ. वजाहत आथर
मिर्झा वह नाम, जिसे अल्पसंख्यक और खासकर मुस्लिम समाज के लिए महाराष्ट्र
कांग्र्रेस ने बतौर रहनुमा पेश किया है। कांग्रेस से बगावत कर चुके राष्ट्रीय नेता
गुलाम नबी आजाद के सबसे करीबी के रूप में वजाहत मिर्झा का नाम ही अव्वल है। राजनीतिक
असिम आशीर्वाद के चलते इन्हें 6 महत्वपूर्ण पदों पर बिठाया गया। लेकिन जब-जब मुस्लिम
हितों को लेकर मुखर होने और भाजपा के खिलाफ कठोर आंदोलन करने की बारी आयी, तब-तब
मिर्झा व उनके समर्थक नदारद दिखे। 26 नवंबर 2021 अर्थात बीते 10 माह में इन्होंने
वक्फ बोर्ड की जमीन पर बने मुकेश अंबानी के 15,000 करोड़ रुपयों से बने 27 मंजिला
आलिशाना इमारत ‘एंटीलिया’ पर एक शब्द भी नहीं कहा। बिलकिस बानो रेप रिहाई मामले में
मिर्झा व उनके समर्थक विरोध करते नहीं दिखे। आज, 19 सितंबर 2022 को दोपहर 2 बजे
मुंबई में आयोजित प्रदेश प्रतिनिधि की बैठक में चंद्रपुर जिले से 17 कांग्रेसी
शामिल हुए। लेकिन इन 17 प्रतिनिधियों में से एक भी प्रतिनिधि मुस्लिम समुदाय का नहीं
है। क्या डाॅ. वजाहत मिर्झा, अपने मुस्लिम समर्थकों को केवल कांग्रेस का झंडा
उठाने के काबिल समझते हैं। जब प्रतिनिधि चुनने की बारी आती, तब मुस्लिम नामों को
शामिल कराने में जनाब मिर्झा नाकाम क्यों हो जाते ? यह सवाल तमाम समर्थकों और झंडा
ढोने वाले मुस्लिमों को सोचना होगा।
चंद्रपुर का मुस्लिम युवा केवल झंडे उठाने के काबिल ?
15 सितंबर 2022 को महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रशासन व संगठन महासचिव प्रमोद मोरे ने एक पत्र जारी किया। इस पत्र के अनुसार पल्लम राजू की अध्यक्षता में महाराष्ट्र प्रभारी एच.के. पाटील, प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले, विधि मंडल नेता बालासाहब थोरात की मौजूदगी में 19 सितंबर 2022 को मुंबई के यशवंतराव चव्हाण प्रतिष्ठान में विशेष बैठक बुलाई गई है। इस बैठक में नवनियुक्त प्रदेश प्रतिनिधि शामिल है। लेकिन चंद्रपुर जिले में बीते दिनों चयनित किये गये प्रदेश प्रतिनिधियों के नामों में मुस्लिम युवा नेताओं को जान-बूझकर दरकिनार किया गया। कुल 17 प्रदेश प्रतिनिधियों में क्या जिले में एक भी मुस्लिम युवा नेता काबिल नहीं समझा गया ? क्या मुस्लिम युवाओं को केवल कांग्रेस के झंडे उठाने के काम के योग्य माना जा रहा है ? इन सवालों में कांग्रेस के मुस्लिम युवाओं को गंभीर चिंतन करना होगा।
चंद्रपुर के 17 प्रदेश प्रतिनिधियों में कोई मुस्लिम क्यों नहीं ?
हाल ही में घोषित किए गए प्रदेश प्रतिनिधियों की सूची में चंद्रपुर जिले से 17 लोगों के नाम भेजे गए। चयनित किए गए 17 में से एक भी नाम मुस्लिम समुदाय से नहीं है। इस मसले को लेकर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में आश्चर्य और रोष जताया जा रहा है। चयनित 17 प्रदेश प्रतिनिधियों में चंद्रपुर शहर से एकमात्र नाम है के. के. सिंह का। वहीं जिले से कुल 16 चयनित नामों में डॉ. रजनी हजारे, विनोद दत्तात्रेय, घनश्याम मुलचंदानी, सुभाष धोटे, विजय बावने, सुभाष गौर, प्रवीण पडवेकर, सुरेश धानोरकर, प्रतीभा धानोरकर, अविनाश वारजूरकर, चंद्रशेखर चन्ने, सतीश वारजूरकर, विजय वडेट्टीवार, संतोष सिंह रावत, संदीप गड्डमवार एवं अरुण धोटे का समावेश हैं। इसलिए जिले से कोई मुस्लिम युवा नेता इन प्रदेश प्रतिनिधि के काबिल क्यों नहीं, यह सवाल अब पूरजोर ढ़ंग से उठाया जाने लगा है।
कांग्रेस में वजाहत से परे क्या कोई काबिल नहीं ?
गुलाम नबी आजाद के करीबियों पर कांग्रेस मेहरबान !
बीते दिनों कांग्रेस व गांधी परिवार पर बेहद गंभीर आरोप लगाते हुए राष्ट्रीय नेता रह चुके गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस का दामन छोड़ दिया, लेकिन उनके बेहद करीबी समझे जाने वाले नेता आज भी कांग्रेस के अहम पदों पर बैठकर अपना चमत्कार दिखा रहे हैं। यदि हम डॉ. वजाहत मिर्झा की बात करें तो वे वर्तमान में यवतमाल कांग्रेस के जिलाध्यक्ष हैं, विधान परिषद के सदस्य है, राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त वक्फ बोर्ड के वे अध्यक्ष हैं। इसके अलावा यवतमाल सरकारी मेडिकल कॉलेज के अभ्यागत मंडल के वे अध्यक्ष हैं। अल्पसंख्यक समाज के लिए पृथक शिक्षा नीति तैयार करने के लिए गठित अध्ययन गुट के वे सदस्य हैं। साथ ही वे कांग्रेस के अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेशाध्यक्ष हैं। एक ही व्यक्ति के पास कुल 6 अहम पद होने से सवाल यह पैदा होता है कि क्या कांग्रेस के पास सक्षम युवा नेतृत्व की महाराष्ट्र में कमी है ?