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फ्लॉफ महापौर की सुपर फ्लॉफ चाल : "कमल" भोजन घोटाले पर 891 दिनों बाद अचानक खुली नींद !

भाजपाई भूल गये : फंड था मनपा का, वाहन था BJP का, स्टिकर थे सुधीर मुनगंटीवार के !

भाजपाइयों का आपदा में अवसर : कोरोना भोजन डिब्बों से की थी BJP प्रचार की कुचेष्टा

महापौर की शिकायत पर सच्ची जांच से फंस जाएंगे भाजपा के ही नगरसेवक ?

@ चंद्रपुर
891 दिन पहले अर्थात ढ़ाई वर्ष पूर्व 9 अप्रैल 2020 सुबह 11 बजकर 29 मिनट पर चंद्रपुर महानगर पालिका के कोरोना काल के भोजन डिब्बों के घोटाले के स्टिंग ऑपरेशन को सर्वप्रथम जनविकास सेना के पार्षद पप्पू देशमुख ने किया था। मनपा के सरकारी फंड से वितरित हो रहे भोजन के 500-500 डिब्बों को भाजपा पार्षद सुभाष कासमगोट्‌टूवार के वाहन क्रमांक MH-34-BR-2317 पर लादकर, भाजपा नेता सुधीर मुनगंटीवार मित्र मंडल नामक स्टिकर वाहन पर चिपकाकर बांटा गया। सरकारी भोजन वितरण को भाजपाई भोजन वितरण दिखाने के ‘पाप’ के अलावा इस भोजन निर्माण टेंडर में भी 60 लाख से अधिक का घोटाला किया गया। पार्षद पप्पू देशमुख ने थाली बजाओ, सिर मुंडन, मनपा सदन में आंदोलन कर सभी सबूत पेश किए। मनपा आयुक्त राजेश मोहित की नीति पर संदेह जताया। आयुक्त के कार्यों की जांच पूर्व महापौर राखी कंचर्लावार ने उपायुक्त अर्थात वरिष्ठ अधिकारी की जांच कनिष्ठ अधिकारी से करवाई। 891 दिनों तक सोये रहने के बाद अचानक से राखी कंचर्लावार एवं उनके भाजपा पार्षदों की नींद खुली। ढाई साल बाद मनपा कार्यालय से 10 कदम की दूरी पर स्थित पुलिस थाने पहुंचे और इस भोजन में घोटाला होने की शिकायत कर दी। अब यदि इस मामले की एंटी करप्शन ब्यूरो व उच्च स्तरीय जांच की जाएं तो अनेक भाजपा पार्षद दोषी पाए जाएंगे। इसलिए जनता इसे फ्लॉफ महापौर की सुपरफ्लॉप चाल संबोधित कर रहे हैं।

क्या हुआ था 9 अप्रैल 2020 को ? कैसे उजागर हुआ घोटाला ?

कोरोना काल का लॉकडाउन के दौर में पार्षद पप्पू देशमुख ने 9 अप्रैल 2020 को जिलाधिकारी से शिकायत की। कहा कि मनपा के निधि से एक विशेष दल अर्थात भाजपा के नाम से भोजन वितरण कर सरकारी निधि व पद का दुरुपयोग किया जा रहा है। मनपा के दोषी अफसरों व पदाधिकारियों पर कार्रवाई करने की मांग को लेकर अनुरोध किया। साथ ही स्टिंग ऑपरेशन के वीडियाे व अन्य सबूत पेश किए। प्रत्येक पार्षद को 70 से 100 भोजन डिब्बे देने की नीति तय हैं। परंतु मनपा के कुछ पदाधिकारी अपने पदों का दुरुपयोग कर हर दिन करीब 4000 डिब्बों की धांधली कर रहे हैं। सरकारी भोजन को राजनीतिक प्रचार का अमली जामा पहनाया जा रहा है। तत्काल इस घोटाले की जांच कर दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की। लेकिन जिला प्रशासन राजनीतिक दबाव में गहरी नींद में सो गया।

घोटाले पर चर्चा के डर से महापौर का पलायन !

30 जून 2020 को मनपा की सर्वसाधारण सभा तत्कालीन महापौर राखी कंचर्लावार के नेतृत्व में आयोजित की गई। भोजन डिब्बा घोटाले के मुद्दे पर चर्चा टालने के लिए उन्होंने सभा को अधूरा छोड़कर आभार प्रदर्शन के पूर्व ही शिष्टाचार भंग कर सभा को त्याग दिया।

31 दिन में बांटे 5.68 लाख में से ढ़ाई लाख डिब्बे भाजपा प्रचार में !

मनपा की ओर से 31 दिनों में सरकारी फंड से कुल 5 लाख 68 हजार भोजन डिब्बे बांटे गये। अर्थात प्रतिदिन 18 हजार से अधिक डिब्बों का वितरण किया गया। प्रत्येक पार्षदों को कुछ ही दिन सुबह-शाम क्रमश: 50, 70 या 100 डिब्बे दिये जा रहे थे। शहर के 71 पार्षदों को करीब 3 से साढे तीन लाख डिब्बों का वितरण किया गया। शेष ढ़ाई लाख भोजन डिब्बे भाजपाई पार्षदों ने अपने भाजपा के स्टिकर चिपकाकर अपने दल का प्रचार करने की कुचेष्टा की।

75 लाख निधि का BJP पार्षदों ने किया दुरुपयोग !

पार्षद देशमुख ने स्टिंग ऑपरेशन, वीडियो में ठेकेदार द्वारा किया गया दावा आदि सबूत मनपा एवं जिला प्रशासन को उपलब्ध कराया। भाजपा पार्षदों के वाहनों में मनपा के अनुमति के बिना ही डिब्बे लोड करने का वीडियो वायरल किया गया। ढ़ाई लाख डिब्बे अर्थात करीब 75 लाख मनपा के सरकारी निधि का दुरुपयोग किया गया।

महापौर कंचर्लावार की भूमिका संदेहास्पद !

पार्षद पप्पू देशमुख ने तत्कालीन महापौर राखी कंचर्लावार की भूमिका पर अनेक सवाल उठाये। महापौर द्वारा भोजन घोटाले की जांच को लेकर भूमिका स्पष्ट करने का अनुरोध 30 जून 2020 को किया था। लेकिन महापौर खामोश रही। मनपा आयुक्त अपने नागपुर के करीबी ठेकेदार को भोजन का ठेका देने का आरोप लगाया था। लेकिन महापौर की नींद अब ढ़ाई वर्ष खुली है। इसके पीछे क्या कारण हो सकता है, यह सवाल अब जनता पूछने लगी है।

31 जुलाई 2020 के ऑनलाइन सदन में भी खुली पोल

मनपा के भोजन वितरण एवं क्वारंटाइन सेंटर को भोजन आपूर्ति में भ्रष्टाचार होने का मुद्दा पार्षद पप्पू देशमुख ने 31 जुलाई 2020 को मनपा में आयोजित ऑनलाइन सर्वसाधारण सभा में उठाया। इस समय उन्होंने तत्कालीन महापौर राखी कंचर्लावार को 'पॉईंट ऑफ इन्फॉर्मेशन' के तहत सभागृह के सदस्यों को संपूर्ण जानकारी देने की मांग की। जांच व दोषियों पर कार्रवाई की स्थिति बताने की मांग की। पुराना ठेकेदार हटाकर नये ठेकेदार के माध्यम से क्वारंटाईन सेंटर पर 115 दर के भोजन को 125 रुपये के दर से खरीदने का कारण पूछा। अधिक राशि का ठेका देने की नीति पर सवाल उठाया। साथ ही जनआंदोलन करने की चेतावनी दी थी। 23 सितंबर 2020 को मनपा के समक्ष आत्मक्लेश आंदोलन किया।

29 सितंबर 2020 को धोखाधड़ी के आंकड़े उजागर

क्वारंटाईन सेंटर पर भोजन व नाश्ता पहुंचाने के काम में मनपा को महज 100 दिनों में 60 लाख रुपयों से चूना लगाया गया। पार्षद देशमुख ने तत्काल दोषी अधिकारियों पर निलंबन की कार्रवाई करने की मांग करते हुए अनेक सबूत पेश किये। एमआरपी रेट से अधिक की राशि देश भर में कहीं भी अदा नहीं की जाती, लेकिन चंद्रपुर मनपा ने भाजपा सत्ताधारियों की छत्रछाया में सस्ती चीजें ठेकेदार से महंगे दामों पर खरीदे।

ऐसे किया घोटाला

115 रु. का भोजन - 124 रु. में
30 रु. का नाश्ता - 36 रु. में
5 रु. की चाय - 10 रु. में
2 रु. का बिस्कुट - 4  रु. में
5 रु. का बिस्कुट  - 6.50 रु. में
10 रु. के पानी की बोतल - 14 रु. में
6.50 रु. पानी की बोतल - 8.30 रु. 

सहज को किसने बनाया रॉयल ?

29 सितंबर 2020 को स्पष्ट हो गया कि मनपा प्रशासन ने मई-जून 2020 के दौरान क्वारंटाइन सेंटर पर भोजन आपूर्ति करने के लिए 115 रुपये के दर से ठेका दिया और सेवाएं पायी। इसके लिए स्थानीय सहज कैटरर्स को ठेका दिया गया था। पश्चात जून माह में अचानक यह काम बंद किया गया। मनपा आयुक्त के करीबी समझे जाने वाले नागपुर के रॉयल ऑर्किड हॉटेल लिमिटेड नामक एजेंसी को यह ठेका अधिक दामों पर दिया गया। इसके चलते मनपा को 100 दिनों में ही 60 लाख रुपये अधिक चुकाने पड़े। इन 100 दिनों में कुल 4 करोड़ 28 लाख 64 हजार 302 रुपये ठेकेदार को भुगतान किये गये। इसके खिलाफ 30 सितंबर 2020 को मनपा के समक्ष थाली बजाओ आंदोलन किया गया। पश्चात 29 अक्तूबर 2020 को सदन में हंगामा करने के बाद मुंडन आंदोलन किया। इस भ्रष्टाचार को लेकर अब भाजपा नेताओं को ढ़ाई साल बाद होश आया है। अब वे शिकायत करने की नौटंकी कर रहे हैं, यह आरोप पार्षद पप्पू देशमुख व कांग्रेस के शहर जिलाध्यक्ष रामू तिवारी ने लगाया है। 

आयुक्त राजेश मोहिते पर क्यों थे ढ़ाई साल मेहबान ?

वर्तमान में चार दिन पहले मनपा आयुक्त राजेश मोहिते के खिलाफ पूर्व महापौर राखी कंचर्लावार, पूर्व उपमहापौर राहुल पावडे व अन्य पार्षदों ने पुलिस थाने में शिकायत देते हुए भोजन डिब्बा घोटाले की जांच करने की मांग की। लेकिन पुलिस का दावा है कि आयुक्त आला अधिकारी होने के कारण वे इस शिकायत को मंत्रालय भेजेंगे। इधर, कांग्रेस नेता रामू तिवारी ने ढ़ाई नहीं, बल्कि बीते 5 साल के भाजपा सत्ता व घोटालों की जांच करने की मांग की है। ढ़ाई साल सोकर रहने और अब चुनाव करीब देखकर अफसरों को निशाना बनाने की बात कही है। अफसरों ने भाजपा पदाधिकारियों से मिलकर ही घोटालों का अंजाम दिया है। यह आरोप तिवारी के अलावा पार्षद पप्पू देशमुख ने भी लगाया है। साथ ही इन भ्रष्ट अफसरों पर ढ़ाई साल तक क्यों मेहरबान थे, यह सवाल भी उपस्थित किया है।