■ मनपा का वॉटर टैक्स घोटाला
@ लिमेशकुमार जंगम
वैसे तो इरई नदी पर मौजूद वॉटर प्लांट वर्ष 1960 में बनाया गया। लेकिन मनपा के पास वर्ष केवल इरई बाध का वॉटर टैक्स अदा करने के दस्तावेज उपलब्ध है। वर्ष 1991 से अब तक मनपा ने करीब 6 करोड़ 94 लाख 31 हजार का टैक्स बांध के पानी के ऐवज में दिया है। परंतु इरई नदी से बरसों से लिये जा पानी के टैक्स पर मनपा ने सरकार को एक फूटी कौड़ी भी अदा नहीं की है। लेकिन जनता से पूरा टैक्स वसूला जा रहा है।
1996 से टैक्स
वर्ष 1996 के पूर्व पानी के टैक्स की जिम्मेदारी महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण की थी। इरई बांध के वॉटर प्लांट को प्राधिकरण ने अगस्त 1998 को चंद्रपुर नप को हस्तांतरित किया। जून 1996 से नप, बांध का वॉटर टैक्स दे रही।
बांध व नदी से कितना लेते जल...?
चंद्रपुर महानगर पालिका के वर्ष 2015 के दस्तावेजों में दर्ज है कि वे इरई बांध से सालाना 12 दस लाख घन मीटर पानी ले रहे हैं। मनपा के अपने ही दस्तावेजों में कहा गया है कि वे इरई नदी के वॉटर प्लांट से 3 दस लाख घन मीटर पानी का उपयोग शहर में पेयजल के लिये कर रहे हैं। अर्थात चंद्रपुरवासियों के लिये 20 प्रतिशत पानी इरई नदी से लिया जा रहा है।
2 पत्रों से खुलती है टैक्स चोरी की पोल
मनपा प्रशासन के दस्तावेज खंगालने पता चला कि 5 जून 2007 को सिंचाई विभाग के कार्यकारी अभियंता ने तत्कालीन नगर परिषद के मुख्याधिकारी को एक पत्र भेजकर साफ तौर पर इरई नदी के पानी के उपयोग पर टैक्स अदा करने की सूचना दी थी। ठीक इसी तरह का पत्र 5 मार्च 2019 को चंद्रपुर मनपा के आयुक्त को भी भेजा गया। इसमें पानी उपयोगिता को साफ तौर पर अनधिकृत बताया गया है। बावजूद मनपा प्रशासन के कानों पर जू तक नहीं रेंग पायी। इधर, जनता से टैक्स वसूली में कोई छूट नहीं दी।
लगातार पत्राचार जारी
सिंचन विभाग की ओर से मनपा प्रशासन को टैक्स अदायगी के लिये लगातार पत्राचार किया जा रहा है। इरई बांध का भी टैक्स काफी बकाया था। निरंतर पत्र भेजने के बाद मनपा प्रशासन ने वर्ष 2015 से जून 2021 तक अब तक कुल 2 करोड़ 85 लाख 90 हजार 363 रु. अदा किये।
प्रशासन और राजनेता खामोश !
वर्ष 1960 में इरई नदी पर बने वॉटर प्लांट के टैक्स चोरी का मामला उजागर होने के बाद मनपा प्रशासन के आला अफसर और मनपा में राजनीतिक दलों से आने वाले सभी नगरसेवक इस टैक्स चोरी के मामले में खामोश हो गये हैं। सभी चुप हैं।